गुरूग्राम : वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में और पूंजी डालने का फैसला बैंकिंग प्रणाली को मजबूत बनाने तथा आर्थिक वृद्धि में गति लाने के इरादे से किया है। गौरतलब है कि सरकार ने फंसे कर्ज (एनपीए) से प्रभावित सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत बनाने के इरादे से पिछले महीने सरकार ने दो साल की एक वृहद योजना पेश की जिसमें 2.11 लाख करोड़ रुपये की पूंजी उनमें डाली जाएगी। जेटली ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों की बैठक पीएसबी मंथन को यहां संबोधित करते हुए कहा कि सरकार बजट से, बांड निर्गम और बैंकों की शेयर पूंजी के विस्तार के जरिये उनमें और पूंजी डालने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि एक तरह से देखा जाए तो बैंकों की वित्तीय स्थिति बेहतर करने के लिये देश उन्हें पैसा दे रहा है।
वित्त मंत्री ने बैंक प्रमुखों को आश्वस्त किया कि आपको यह देखने को नहीं मिलेगा कि हम वाणिज्यिक लेन-देन में हस्तक्षेप कर रहे हैं लेकिन जब व्यवस्था ये सब बदलाव कर ही और बैंकों को मजबूत करने के लिये ये सभी मौद्रिक योगदान दिये जा रहे हैं तो चाहते है कि सरकारी बैंकिंग प्रणाली खूब मजबूत हो ताकि वह आर्थिक वृद्धि मदद देने की आपकी क्षमता स्वयं ऊंची हो सके।
उन्होंने कहा कि बैंक जिन प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान दे रहे हैं, उसमें एक सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को समर्थन देना शामिल है क्योंकि क्षेत्र रोजगार सृजित कर रहा है और अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रहा हैं जबकि उसकी बांड बाजार या अंतरराष्ट्रीय वित्त तक पहुंच नहीं है। जेटली ने बैंक प्रमुखों से कहा कि सरकार बड़े पैमाने पर सार्वजनिक धन खर्च कर रही है और विदेशी निवेश आ रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपति जून 2017 को बढ़कर 7.33 लाख करोड़ रुपये हो गये जो मार्च 2015 में 2.78 लाख करोड़ रुपये थी। साढ़े तीन साल में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 51,000 करोड़ रुपये से अधिक की पूंजी डाली है।