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कोल इंडिया ने बढ़ये कोयले के दाम, विद्युत उत्पादकों ने कहा महंगी होगी बिजली

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नई दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने बिजलीघरों में इस्तेमाल होने वाले कोयले के दाम आज तुरंत प्रभाव से बढ़ दिये। हालांकि, यह वृद्धि बिजली और गैर-बिजली दोनों तरह के उपभोक्ताओं पर लागू होगी। कोल इंडिया के इस फैसले के बाद बिजली उत्पादकों का कहना है कि इससे बिजली के दाम 50 पैसे प्रति यूनिट तक बढ़ सकते हैं। सूत्रों के अनुसार कोयले के दाम में यह वृद्धि औसतन 10 प्रतिशत तक हो सकती है लेकिन भारतीय कैप्टिव रूर्जा उत्पादक संघ का दावा है कि जी-11 और जी-14 ग्रेड के कोयले के दाम में यह वृद्धि 15 से 20 प्रतिशत के दायरे में हो सकती है। इस वृद्धि से बिजली की लागत 0.30 से 0.50 रुपये प्रति यूनिट बढ़ सकती है। कोल इंडिया ने बंबई शेयर बाजार को भेजी सूचना में कहा है कि कंपनी के निदेशक मंडल ने गैर-कोकिंग कोल के दाम में 9 जनवरी 2018 से वृद्धि को मंजूरी दे दी है।

कंपनी ने इस संदेश में वृद्धि की मात्रा के बारे में कुछ नहीं बताया है। कोयले के दाम बढ़ने से कोल इंडिया को चालू विथ वर्ष की शेष अवधि में 1,956 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा जबकि पूरे साल के दौरान उसे 6,421 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा। कोयले के दाम में यह वृद्धि एनईसी सहित कोल इंडिया की सभी अनुषंगियों में नियमित और गैर-नियमित क्षेत्र के लिये लागू होगी। बिजली उत्पादकों का मानना है कि इस मूल्य वृद्धि से उनकी लागत बढ़गी और बिजली शुल्क दरें बढ़गी।

इंडियन कैप्टिव पावर्स प्रॉड्यूसर्स एसोसियेसन (आईसीपीपीए) के सचिव राजीव अग्रवाल ने पीटीआई-भाषा से कहा, जी-11 और जी-14 ग्रेड के कोयले में की गई मूल्य वृद्धि 15- 20 प्रतिशत के दायरे में है। ऐसा अनुमान है कि इस वृद्धि से बिजली शुल्क में 30 से 50 पैसे प्रति यूनिट की शुल्क वृद्धि हो सकती है। एसोसियेसन ने कहा है कि कोयले के दाम में यह वृद्धि कोयला निकासी के रूप में लिये जाने वाले 50 रुपये प्रति टन की 12- 18 प्रतिशत की अप्रत्यक्ष मूल्य वृद्धि के रूपर की गई है। एसोसियेसन ने कहा है, वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिये रूर्जा के दाम कम होने चाहिये। इसके बजाय देश पर कोल इंडिया की अकुशलता, उसके कर्मचारियों, लागत ढांचे और घाटे का बोझ लादा जा रहा है। पीडब्ल्यूसी के कामेश्वर राव ने कहा कि कोयले की रूंची लागत से बड़, अधिक सक्षम और कोयला खानों के नजदीक वाले बिजलीघरों को फायदा होगा।

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