नई दिल्ली : गत सप्ताह बारीक व मोटे चावल में निर्यातकों के साथ-साथ घरेलू मांग निकलने से तेजी का रुख बना रहा। राइस मिलों को धान महंगा खरीदना पड़ रहा है जिससे 1121 सेला चावल 200/250 रुपए एवं मोटे चावल 50/75 रुपए बढ़ गये। मक्की-बाजरे में भी मजबूती लिये बाजार बंद हुआ। इधर दलहनों में नीचे वाले भाव पर दाल मिलों की पकड़ मजबूत होने से मूंग, उड़द, तुवर, मसूर एवं चने में 100/200 रुपए का इजाफा हो गया था, लेकिन बाद में पक्के मालों की बिक्री ठण्डी पड़ जाने सेे इनमें भी 50/100 रुपए निकल गये।
आलोच्य सप्ताह यूपी, हरियाणा, पंजाब की राइस मिलों में धान की आवक पूरी तरह ठण्डी पड़ गयी, जिससे 1121 धान के भाव 150 रुपए बढक़र 3500/3550 रुपए क्विंटल हो गये, जिससे इसका सेला चावल भी निर्यातकों की लिवाली से 200/250 रुपए बढक़र 6500/6550 रुपए तरावड़ी एवं कुरुक्षेत्र लाइन की मिलों में बिक गया। यहां भी इसके भाव 250 रुपए बढक़र 6500 रुपए पर जा पहुंचे। वहीं स्टीम में ग्राहकी कमजोर होने से बाजार कुछ मुलायम बोले गये। गौरतलब है कि 1509 धान की आवक पूरी तरह समाप्त हो गयी है तथा मिलावट करने वाले इसके चावल की लिवाली करने लगेे हैं, जिससे इसमें भी अच्छी तेजी आ गयी तथा 300 रुपए की बढ़त पर 6400 रुपए का व्यापार हो गया।
बारीक चावल के साथ-साथ मोटे चावल में भी घरेलू व निर्यात मांग निकलने लगी है। दिसम्बर के अंत में जो परमल वंड 500/505 डॉलर प्रति टन में 10 किलो की पैकिंग में निर्यात हुआ था, उसके भाव 525 डॉलर तक बोलने लगे। इसके अलावा आईआर-8, पंथ-4, जया, साकेेत एवं मंसूरी चावल में भी इसी अनुपात में राइस मिलों में भाव बढ़ गये, जिससे यहां भी 50/75 रुपए बढक़र परमल चावल 2300/2375 रुपए एवं वंड 2500 रुपए बिक गया। इधर बिहार के सासाराम, भभुवा, रोहतास एवं बंगाल के वद्र्धवान लाइन में भी धान की आवक टूट जाने एवं वहां की लोकल लिवाली चलने से चावल सेला मोटा 50/60 रुपए बढ़ गया।
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