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जीएसटी काउंसिल की अहम बैठक आज, बजट से पहले आम आदमी को राहत की उम्मीद

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नई दिल्ली : आज गुरुवार को जीएसटी (माल एवं सेवा कर) परिषद की 25वीं बैठक आयोजित की जा रही है।मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में यह बैठक नई दिल्ली में हो रही है। जानकार बताते हैं कि इस बैठक में रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को सरल बनाने पर कुछ फैसले लिए जा सकते हैं, इसके अलावा बड़ी इकाइयों के रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को भी आसान बनाया जा सकता है। बैठक में एक फरवरी से लागू हो रहे ई-वे बिल के लिए जीएसटीएन की तैयारियों का भी जायजा लिया जाएगा।

जीएसटी परिषद की यह बैठक 2018-19 के बजट से पहले आयोजित हो रही है। बैठक में विभिन्न हितधारक समूहों की ओर से मिले ज्ञापनों के मद्देनजर वस्तुओं और सेवाओं के लिए जीएसटी दरों में कमी पर भी चर्चा हो सकती है। यह परिषद की 25वीं बैठक है। वित्त मंत्री अरुण जेटली बैठक की अध्यक्षता करेंगे। परिषद में राज्यों के वित्त मंत्री सदस्य हैं। सूत्रों ने कहा कि परिषद जीएसटी कानून में संशोधनों के मसौदे को मंजूरी देगी। इसे संसद के 29 जनवरी से शुरू हो रहे बजट सत्र में विचार और पारित करने के लिए पेश किया जा सकता है।

सरकार द्वारा गठित कानून समीक्षा समिति 500 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार तथा 10 या अधिक राज्यों में परिचालन करने वाले बड़े सेवाप्रदाताओं के लिए केंद्रीयकृत पंजीकरण का सुझाव दिया है। समिति ने व्यापार और उद्योग की सदस्यता वाली सलाहकार समिति के सुझावों के आधार पर 16 सिफारिशें दी हैं।

अहम है यह बैठक

इस साल का बजट नरेंद्र मोदी सरकार के लिए एक तरफ अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए चुनौती से भरा है तो दूसरी तरफ आम चुनाव से पहले सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होने के नाते इसे लोकलुभावन भी बनाना होगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली एक फरवरी को बजट पेश करेंगे। सबकी निगाहें इस बात पर है कि आम आदमी को वह कितनी राहत दे पाते हैं। इसी के मद्देनजर जीएसटी परिषद की अहम बैठक हो रही है, जिसमें पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर खासी चर्चा की उम्मीद है।

70 सामानों पर घट सकता है टैक्स

सूत्रों के मुताबिक जीएसटी काउंसिल की इस बैठक में 60 से 70 समानों पर भी टैक्स कम किया जा सकता है। इनमें से कुछ सेवाओं पर पहले कोई टैक्स नहीं लगता था, पर जीएसटी में वह टैक्स के दायरे में आ गई थी। इस वजह से इनमें दिक्कत आ रही थी। साथ ही रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए उठ रही मांगों पर भी फैसला लिया जा सकता है।

पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें सरकार के लिए सिरदर्द

लगातार बढ़ रही पेट्रोल-डीजल की कीमतें सरकार के लिए भी चिंता लेकर आई है। बजट से पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत 65 डॉलर के पार पहुंच चुकी है, जिसकी वजह से देश में पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इसके बाद सरकार की कोशिश पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर है। सरकार पहले ही ये संकेत भी दे चुकी है कि वह ना सिर्फ राज्यों को वैट घटाने के लिए कह सकती है, बल्कि खुद भी इसपर कोई फैसला लिया जा सकता है। हालांकि इस फैसले में राज्यों की सहमति आना बेहद जरूरी है. क्योंकि राज्यों की राजस्व से होने वाली कमाई का बड़ा हिस्सा पेट्रोल और डीजल से ही आता है।

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