नई दिल्ली : सरकार जीएसटी के तहत विभिन्न मामलों में कर स्पष्टीकरण देने के लिये गठित अथारिटी फार एडवांस रूलिंग (एएआर) प्रणाली में सुधार लाने की योजना बना रही है जिसमें तहत एक केन्द्रीकृत प्राधिकरण या फिर चार क्षेत्रीय प्राधिकरण स्थापित किए जा सकते हैं। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। इससे विभिन्न राज्यों में एएआर द्वारा एक जैसे मामलों में अलग अलग आदेश पारित किये जाने से भ्रम पैदा होने की समस्या कम की जा सकती है। माल एवं सेवाकर (जीएसटी) कानून में व्यवस्था दी गयी है कि प्रत्येक राज्य को अग्रिम नियमन प्राधिकरण (एएआर) गठित करना होगा। इसमें केन्द्रीय कर विभाग का एक सदस्य और दूसरा सदस्य संबंधित राज्य का होता है। विभिन्न राज्यों में इस प्रकार के प्राधिकरणों में एक जैसे मुद्दों अथवा एक ही मामले में अलग अलग नियम बताये जाने को लेकर भ्रम की स्थिति बनी है।
भ्रम कीइस स्थिति को दूर करने के लिये वित्त मंत्रालय एक केन्द्रीकृत एएआर या फिर क्षेत्रीय स्तर के एएआर स्थापित करने पर विचार कर रहा है। अधिकारी ने कहा कि इन प्राधिकरणों में कर अधिकारी सदस्य होते हैं। किसी भी मामले में वह राजस्व प्राप्ति के हितों को ध्यान में रखते हुये अपना निर्णय लेते हैं ऐसे में हितों का टकराव भी हो सकता है। विभिन्न राज्यों में एएआर अब तक जीएसटी कानून के तहत 60 के करीब आदेश जारी कर चुके हैं।
हालांकि अभी कई राज्यों में एएआर के फैसलों को चुनौती देने के लिये जीएसटी अपीलीय प्राधिकरण स्थापित नहीं हुये हैं। हाल ही में एएआर की नई दिल्ली पीठ ने फैसला दिया कि हवाई अड्डों में स्थित शुल्क-मुक्त दुकानें यात्रियों से जीएसटी कटौती कर सकती हैं। जबकि ये दुकानें इससे पहले की व्यवस्था में केन्द्रीय बिक्री कर और सेवा कर से मुक्त थी। राजस्व विभाग अब ‘शुल्क मुक्त’ दुकानों को जीएसटी से छूट देने के बारे में स्पष्टीकरण जारी करने की योजना बना रहा है।
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