नई दिल्ली : गत सप्ताह मिलों में गन्ने का दबाव अनवरत बना रहा, जिससे चीनी के उत्पादन में तीन प्रतिशत की और वृद्धि हो गयी। सरकार ने आयात शुल्क बढ़ाने से भी मना कर दिया। इसके प्रभाव से चीनी में 20/30 रुपए का और मंदा आ गया है। इसके अलावा गुड़ भी लोहड़ी व मकर संक्रान्ति की चालानी मांग समाप्त हो जाने के बाद उत्पादक मंडियों में 30/40 रुपए प्रति 40 किलो तथा यहां 100 रुपए प्रति क्विंटल टूट गया। खेतों में गन्ने की खड़ी फसल एवं भुगतान की स्थिति को देखते हुए अगले कुछ दिनों में अभी और मंदा लग रहा है। आलोच्य सप्ताह मिलों में गन्नेे की आवक लगातार बढऩे से चीनी उत्पादन में भी तीन प्रतिशत की और वृद्धि हो गयी।
अब तक कुल चीनी उत्पादन 115 लाख टन के करीब हो चुका है तथा गन्ना, ट्रॉलियां एवं बड़े ट्रकों में यूपी, महाराष्ट्र, कर्नाटक, बिहार एवं मध्य प्रदेश आदि राज्यों की मिलों में लगातार तेजी से उतर रहा है। इसे देखते हुए अगले माह अंत तक 250 लाख टन चीनी बन जाएगी। गौरतलब है कि गन्ने का बकाया भुगतान काफी निबट जाने से किसानों का मनोबल क्रैशरों की बजाय मिलों की ओर बढ़ गया है। इसका मुख्य कारण यह है कि क्रैशर वाले गन्ने के भाव कम लगाते हैं तथा गन्ने की छंटाई करके माल लेते हैं, जबकि मिलों में एवरेज माल गन्ने की प्रजाति केे अनुसार बिकता है।
मिलों में चीनी ग्राहकी कमजोर होने एवं नये माल के प्रैशर से 20/30 रुपए और घटकर 3280/3350 रुपए प्रति क्विंटल रह गयी। कुछ मिलें बढिय़ा चीनी के नाम पर 3380/3400 रुपए भी भाव कोट कर रही थीं। जबकि उनका व्यापार काफी कम रहा है। इन परिस्थितियों को देखते हुए चीनी में अभी धीरे-धीरे 75/80 रुपए चालू माह में और निकल जाने की संभावना बन गयी है। इसी तरह गुड़ भी मौसम साफ होने से मुजफ्फरनगर मंडी में 10-11 हजार कट्टो दैनिक आने लगा है। वहां भी ग्राहकी कमजोर होने एवं चालानी में भी लदान घट जाने से 30/40 रुपए प्रति 40 किलो का मंदा आ गया।
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