नई दिल्ली : गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के भारी बोझ तले दबे बैंकों और कर्ज से जूझ रहे उद्योग जगत द्वारा नये निवेश के प्रति रुझान में कमी से अधिकतर औद्योगिक क्षेत्र बैंक ऋण के अभाव से ग्रसित हैं। उद्योग संगठन एसोचैम के अनुसार, चीनी, पेट्रोलियम, कोयला उत्पाद, पेट्रो केमिकल, सीमेंट, सीमेंट उत्पाद, बेसिक मेटल और धातु उत्पाद क्षेत्र में वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान बैंक ऋण उठाव में दो प्रतिशत रिणात्मक से 19 फीसदी तक की गिरावट आयी है।
यहां तक की सामान्य मानसून के कारण बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद वाले खाद्य क्षेत्र में भी वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान 16 फरवरी तक 19.3 फीसदी तक की रिण उपलब्धतता में गिरावट आयी है। इसी अवधि में पेट्रोल केमिकल कंपनियों में ऋण इस्तेमाल में 19 फीसदी से अधिक की कमी आयी है। सड़क, बिजली और दूरसंचार जैसे बुनियादी क्षेत्रों में 1.6 से छह फीसदी तक रिण इस्तेमाल घटा है।
एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा, ‘ऋण इस्तेमाल के रिजर्व बैंक के आंकड़े में दोहरे बैलेंस शीट की समस्या उजागर होती है। बैंक एनपीए के बढ़ते बोझ और प्रोवजनिंग की बढ़ती जरूरत से जूझ रहे हैं और कॉरपोरेट जगत का सड़क, बिजली और दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में धन फंसा है। हालांकि खनन, ढुलाई, चाय, टेक्सटाइल, रबर, प्लास्टिक और ग्लासवेयर आदि जैसे क्षेत्रों में स्थिति सुधर रही है।’
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