नई दिल्ली: भारत ने घरेलू उद्योग के हितों की रक्षा के लिये चीन जैसे देशों से आयातित सौर बिजली उपकरण पर 70 प्रतिशत रक्षात्मक- शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया है। रक्षोपाय महानिदेशालय ने पांच जनवरी को वित्त मंत्रालय को दी अपनी सिफारिश में कहा कि देश में सौर सेल का आयात इतनी मात्रा और ऐसी परिस्थिति में की जा रही है कि घरेलू उद्योगों को क्षति हो सकती है। उसने कहा कि मौजूदा गंभीर परिस्थिति अस्थायी रक्षात्मक शुल्क तत्काल लगाने की जरूरत को रेखांकित करता है ताकि स्थानीय इकाइयों को और नुकसान से बचाया जा सके।
अगर रक्षात्मक- शुल्क लगाने में देरी की जाती है तो इससे घरेलू उद्योग की समस्या बढ़ सकती है जिसका समाधान मुश्किल होगा। वित्त मंत्रालय अगर रक्षोपाय महानिदेशालय (डीजीएस) की सिफारिशों को स्वीकार कर लेता है तो यह शुल्क लगाया जाएगा। सेल और मोड्यूल बनाने वाली अडाणी ग्रुप समेत पांच घरेलू कंपनियों ने इस बारे में आवेदन दिया था। इस आवेदन पर विचार करते हुए डीजीएस ने सौर सेल के आयात पर 70 प्रतिशत की दर से मूल्य वर्द्धन शुल्क लगाने की सिफारिश की है।
सिफारिश के अनुसार अस्थायी तौर पर बचाव शुल्क 200 दिनों के लिये लगाया जा सकता है। यह घरेलू उद्योग के हितों की रक्षा के लिये जरूरी न्यूनतम अवधि है। अंतिम तौर पर शुल्क या आयात कर लगाने से पहले डीजीएस सस्ते आयात के प्रभाव का आकलन करने के लिये मामले की फिर से जांच करेगा।
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