नई दिल्ली : सरकार ने कोयले से मेथनॉल का उत्पादन और इस्पात कारखानों में प्राकृतिक गैस की जगह पर कोले की गैस के उपयोग की व्यवहार्यता का अध्ययन करने के लिए कार्य दल का गठन किया है। देश ने 30 करोड़ टन कच्चे इस्पात क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है, इस लिहाज से सरकार के इस कदम को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
15 सदस्यीय कार्यदल में नीति आयोग के सदस्य वी के सारस्वत की अध्यक्षता में कोयला और इस्पात मंत्रालय के सचिवों को रखा गया है। कोल इंडिया के चेयरमैन गोपाल सिंह, भेल के सीएमडी अतुल सोबती, सेल के चेयरमैन पी के सिंह, जेएसडब्ल्यू के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सज्जन जिंदल, एस्सार स्टील के चेयरमैन शशि रुइया और एनएमडीसी के सीएमडी बैजेंद्र कुमार समेत कुछ अन्य लोग भी इस कार्य दल के सदस्य हैं।
इस्पात मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक मोजाम्बिक और भारत में कोयले से मेथनॉल के उत्पादन, इस्पात संयंत्रों में गैसीकरण प्रक्रिया के माध्यम से कोल गैस द्वारा प्राकृतिक गैस का प्रतिस्थापन और इस्पात संयंत्रों से निकलने वाले कार्बन डाइऑक्साइट को मेथनॉल तरल इंधन में बदलने की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए एक कार्य दल का गठन किया गया है।
अधिक लेटेस्ट खबरों के लिए यहां क्लिक करें।