भारतीय विमानन कंपनी एयर इंडिया ने अपने उन पायलटों और क्रू मेंबर्स के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है जो उड़ान भरने से पहले नशे की जांच नहीं कराते हैं। आपको बता दे कि एयर इंडिया के 130 पायलट और 430 क्रू मेंबर्स हटाए जा सकते हैं । इन सभी ने सुरक्षा नियमों को ताक पर रखते हुए ड्यूटी के दौरान अनिवार्य अल्कोहल जांच नहीं करवाई।
खबरों के मुताबिक इन क्रू सदस्य और पायलटों ने लगातार ब्रीद ऐनालाइजर टेस्ट के लिए टाल-मटोल की थी। सिंगापुर, कुवैत, बैंकाक, अहमदाबाद और गोवा की कुछ फ्लाइट में गड़बड़ी की बात सामने आई है। क्रू सदस्य सिंगापुर, कुवैत, बैंकॉक, अहमदाबाद और गोवा जैसी जगहों की उड़ानों में काफी समय तक नियमित तौर पर अल्कोहल जांच से बचते रहे हैं।
एयर इंडिया ने इसपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वो डीजीसीए के प्रावधानों का पूरी तरह पालन करता रहा है और वो नियामक के हर दिशानिर्देशों का पालन करता रहेगा। एयर इंडिया ने बयान जारी कर कहा, ‘हम डीजीसीए के साथ काम कर रहे हैं और डीजीसीए के सभी दिशानिर्देशों का पालन करेंगे।
माना जा रहा है कि एक साथ इतनी बड़ी संख्या में क्रू मेंबर्स पर कार्रवाई से एयरलाइन का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो सकता है, लिहाजा डीजीसीए इस मामले में धीरे-धीरे दंडात्मक कदम उठाएगा।
फरवरी में डीजीसीए ने एयर इंडिया के कार्यकारी निदेशक ऑपरेशंस, कैप्टन अरविंद सिंह कठपलिया का फ्लाइंग लाइसेंस निलंबित कर दिया था। 3 महीने की आंतरिक जांच के बाद उन्हें एक उड़ान के दौरान ब्रीद ऐनालाइजर टेस्ट से बच निकलने का दोषी पाया गया था। कठपलिया अभी एयर इंडिया के बोर्ड मेंबर और ऑपरेशंस हेड हैं।
आपको बता दे कि नियमों के मुताबिक अगर कोई क्रू मेंबर ब्रीद ऐनालाइजर टेस्ट कराने से मना करता है या उसका टेस्ट पॉजिटिव पाया जाता है, तो उसे फ्लाइंग ड्यूटी से 4 हफ्ते के लिए हटा दिया जाता है और एयरलाइन को उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू करनी पड़ती है।
डीजीसीए के मुताबिक वर्ष 2016 में अलग-अलग एयरलाइंस के 224 पायलट और क्रू मेंबर्स इस टेस्ट में फेल हुए थे, जबकि वर्ष 2015 में 202 पायलट और क्रू मेंबर्स ब्रीद ऐनालाइजर टेस्ट पास करने में नाकाम रहे थे।