ग्वालियर : म.प्र. में गेहूं खरीदी के नाम परभ्रष्टाचार हो रहा है यह किसी से छिपा नहीं है। किसानों से गेहूं खरीदी पर प्रति क्विंटल 6 से 8 रूपये वसूली कर भारी भ्रष्टाचार किया जाता है और प्रदेश में इस वर्ष लगभग 6500,00,00 क्विंटल गेहूं खरीदा गया है और इस गेहूं खरीदी में लगभग राशि रूपये 39 करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ है। गेहूं खरीदी वास्तव में किसानों के हित में नहीं है बल्कि गेहूं खरीदी का कार्य सहकारिता विभाग, अपेक्स बैंक, सभी जिला बैंक और नागर आपूर्ति निगम के अधिकारियों के लिए एक महोत्सव है जो हर साल मनाया जाता है और इन संस्थओं केसभी अधिकारी हर साल करोड़पति हो जाते हैं।
प्रतिवर्ष 35 से 40 करोड का भ्रष्टाचार गेहूं खरीदी के नाम परकिया जाकर विगत 10 वर्षों में लगभग 400 करोड़ का भ्रष्टाचारकिया गया है। इसकी जाँच हेतु अलग से जाँच आयोग किसी भी माननीय हाईकोर्ट के सिटिंग या सेवानिवृत जज की अध्यक्षता में गठित करने की माँग म.प्र. काॅग्रेस सहकारिता प्रकोष्ठ के अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री भगवान सिंह यादव ने प्रदेश केमुख्यमंत्री से की है। गेहूं खरीदी के नाम पर पुराना कन्ट्रोल दुकानों का गेहूं और प्रदेश के बाहर के व्यापारियों का गेहूं नई बोरियों में भरकर बेचा जा रहा है और गेहूं में मिट्टी भरी जा रही है यह तो सर्वविदित है ।
गेहूं खरीदी में कितना घपला और भ्रष्टाचार हो रहा है यह इसी बात से प्रमाणित होता है कि गेहूं का जो वास्तविक रकवा म.प्र. में है उसके मान से प्रति क्विंटन जो औसत उत्पादन होना चाहिए उससे कई गुना अधिक गेहूं पैदा होना दिखाया जाकर गेहूं खरीदी की गई है।
जबकि प्रदेश की नर्मदा नदी सहित सभी नदियां सूखी हैंलगभग 90 प्रतिशत म.प्र. में सूखा पड़ा था पीने के लिए पानी नहीं हैतो सिंचाई के लिए पानी होने का प्रश्न ही नहीं है और वास्तव में गेहूं के वास्तविक रकबे के करीब 10 से 15 प्रतिशत ही गेहूं उत्पादन हुआ है किन्तु जनता के धन को ठिकाने लगाने के लिए भारी भ्रष्टाचारपूर्वक गेहूं खरीदी का उत्सव मनाया गया है करोड़ों नहीं अरबों रूपयों का भ्रष्टाचार हुआ है।इसकी जांच के लिए एक अलग से जांच आयोग माननीय हाईकोर्ट के सिटिंग या सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में गठित किया जाकर जांच करयी जावे जिससे अब तक का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार और घपला उजागर हो सकेगा।
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