सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और बाकी 4 जजों के बीच विवाद हो खत्म हो गया है। जिसके बाद सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में 5 जजों की एक संवैधानिक पीठ का गठन किया। दिलचस्प बात ये है कि पीठ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीजेआई पर गंभीर सवाल उठाने वाले चार जजों में से किसी का भी नाम नहीं है।
बीते शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के चार जजों जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एम बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसफ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर न्यायिक प्रशासन पर सवाल उठाए थे। इनमें से किसी का भी नाम पांच जजों की संवैधानिक पीठ में नहीं है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार पांच न्यायाधीशों की पीठ में सीजेआई दीपक मिश्रा, जस्टिस ए के सीकरी, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं। यह संविधान पीठ 17 जनवरी से कई महत्वपूर्ण मामलों पर सुनवाई शुरू करेगी।
इस बीच अदालत के सूत्रों ने कहा कि इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि चीफ जस्टिस ने उन चार न्यायाधीशों से मुलाकात की या नहीं जिन्होंने 12 जनवरी को संवाददाता सम्मेलन में सीजेआई के खिलाफ आरोप लगाए थे।
पीठ इन मामलों की करेगी सुनवाई
कार्यसूची के अनुसार पांच न्यायाधीशों की ये पीठ आधार कार्ड कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले मामले और सहमति से वयस्क समलैंगिकों के बीच यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने के फैसले को चुनौती देने से जुड़े महत्वपूर्ण मामलों में सुनवाई करेगी।
इन्हीं जजों ने पिछले साल 10 अक्तूबर से विभिन्न मामलों में सुनवाई की थी। इनमें प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच टकराव का मामला भी है।
-ये पीठ केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओें के प्रवेश पर रोक के विवादास्पद मुद्दे पर भी सुनवाई करेगी और इस कानूनी सवाल पर सुनवाई फिर शुरू करेगी कि क्या कोई पारसी महिला दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी के बाद अपनी धार्मिक पहचान खो देगी।
-संविधान पीठ अन्य जिन मामलों को देखेगी उनमें आपराधिक मुकदमे का सामना कर रहे किसी जनप्रतिनिधि के अयोग्य होने से संबंधित सवाल पर याचिकाएं भी हैं।
इन सभी मामलों को पहले शीर्ष अदालत की बड़ी पीठों को भेजा गया था। वहीं इसके अलावा जस्टिस लोया की मौत के मामले में जांच की दो जनहित याचिकाएं जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली एक पीठ के समक्ष सूचीबद्ध है जिनके खिलाफ एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने सार्वजनिक रूप से आक्षेप लगाए थे।
17 जनवरी से होगी अहम मसलों पर सुनवाई
सोमवार को गठित की गई संविधान पीठ में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले चारों न्यायाधीशों- न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एम बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ में से किसी का नाम पांच जजों की संविधान पीठ के सदस्यों के रुप में शामिल नहीं किया गया है। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में 17 जनवरी से कई अहम मुद्दों पर सुनवाई शुरू होनी है जिसके लिए संविधान पीठ का गठन किया गया है। सुप्रीम पांच न्यायाधीशों की पीठ में सीजेआई दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए के सीकरी, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल हैं।
चीफ जसिस्टस पर उठाए थे सवाल
पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के चार सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जे. चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, मदन लोकुर और कुरियन जोसफ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया से बातचीत की थी। चारों जजों ने मीडिया के सामने आकर कोर्ट प्रशासन और चीफ जस्टिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर आरोप लगाए थे। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस मुद्दे को सुलझाने की पहल की है। शनिवार शाम बार काउंसिल ने एक बैठक कर सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों से मिलने का फैसला किया। सभी जजों से चर्चा के बाद काउंसिल के पदाधिकारी उन चारों जजों से भी मुलाकात करेंगे जिन्होंने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाया था।
अन्य विशेष खबरों के लिए पढ़िये पंजाब केसरी की अन्य रिपोर्ट