नई दिल्ली : समुद्र के भीतर अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए भारतीय नौसेना अपने बेड़े में 57 लड़ाकू विमानों को खरीदना चाहती है। इसके लिए नौसेना ने हाल ही में विदेशी विक्रेताओं को इसके परीक्षण करने के लिए आमंत्रित किया था ताकि आईएनएस विक्रमादित्य पर इन विमानों की तैनाती के बाद कोई दिक्कत न हो।
समुद्री शक्ति को बढ़ाने के लिए 75,000 करोड़ रुपये से अधिक के इस बड़े सौदे के लिए फ्रांसीसी राफेल, स्वीडिश साब-सी-ग्रिफेन और रूसी मिग-29 के और अमरीकन एम-18 प्रमुख दावेदार हैं। ऐसे में भारतीय नौसेना ने इन फाइटर जेट बनाने वाली कंपनियों को बुलाकर यह साबित करने को कहा है कि उनके विमान हमारे रूसी विमान वाहक आईएनएस विक्रमादित्य से संचालित होने में सक्षम होंगे। सूत्रों के मुताबिक फ्रांसीसी राफेल और अमरीकन एफ -18 समेत विमान निर्माताओं ने परीक्षण में भाग लिया था।
नौसेना ने उन्हें अपने विमान को विक्रमादित्य में उतरने और उड़ान भरने में सक्षम होने आदि क्षमताओं पर अधिक जानकारी देने के लिए कहा गया था।
ये परीक्षण कर्नाटक के करवार में आईएनएस विक्रमादित्य के होमबेस में किया गया था। 57 नए विमानों का इस्तेमाल आईएनएस विक्रमादित्य से किया जाएगा। जो निर्देश मिलते ही समुद्र के भीतर दुश्मनों को तबाह करने के लिए उड़ चलेंगे और उनका नामोनिशान मिटा देंगे। अभी आईएनस विक्रमादित्य पर 26 मिग 29के और 10 कामोव केए-31 हेलीकॉप्टर तैनात हैं।
हालांकि भारतीय नौसेना आने वाले तीन सालों में चाहती है कि आईएनस विक्रमादित्य पर नए लड़ाकू विमानों की तैनाती हो, ताकि वह अकेले ही दुश्मन से लोहा ले सके। माना जा रहा है कि सेना को इन 57 लड़ाकू विमानों की पहली खेप अनुबंध के अगले तीन साल में मिल जाएगी और बाकी विमानों की सप्लाई भी भी अगले तीन साल में पूरी हो जाएगी।