नयी दिल्ली : जम्मू कश्मीर में पिछले करीब सवा तीन वर्षो में आतंकवादी हिंसा के 932 मामले सामने आए हैं जिसमें 74 नागरिक और 488 आतंकवादी मारे गए और 216 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं । लोकसभा में शरद कुमार मारूति बनसोडे, मोहम्मद बदरूद्दोजा खान, रायपति सम्बासिवा राव, मोहम्मद खलीमन, राजेश पांडेय, निशिकांत दूबे, बदरूद्दीन अजमल, धर्मेन्द्र यादव, टी जी वेंकटेश बाबू और असादुद्दीन ओवैसी ने सरकार से जानना चाहा था कि क्या देश में खासतौर पर जम्मू कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में हाल में वृद्धि हुई है। गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि जम्मू कश्मीर राज्य आतंकवादी हिंसा से प्रभावित रहा है जो सीमापार से प्रयोजित एवं समर्थित है । जम्मू कश्मीर के भीतरी भागों में आतंकवादी हिंसा का स्तर सीमापार घुसपैठ से जुड़ा हुआ है ।
गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2018 में चार मार्च तक जम्मू कश्मीर में आतंकी हिंसा की 60 घटनाएं सामने आई हैं जिसमें 2 नागरिक और 17 आतंकवादी मारे गए तथा 15 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए । वर्ष 2015 में जम्मू कश्मीर में आतंकी हिंसा की 208 घटनाएं हुई, जिनमें 17 नागरिक, 108 आतंकवादी मारे गए और 39 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए । वर्ष 2016 में राज्य में आतंकी हिंसा की 322 घटनाएं सामने आई जिसमें 15 नागरिक और 150 आतंकवादी मारे गए और 82 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए, जबकि वर्ष 2017 में आतंकी हिंसा की 342 घटनाएं हुई जिसमें 40 नागरिक, 213 आतंकवादी मारे गए और 80 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए।
सरकार ने लोकसभा में बताया कि 27 जुलाई 2015 को पंजाब के गुरदासपुर जिले के दीनानगर में पाकिस्तान से घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों द्वारा एक हमला किया गया था । इस घटना में 4 सुरक्षाकर्मी सहित सात व्यक्ति मारे गए तथा 10 नागरिक एवं 7 सुरक्षाकर्मी घायल हो गए । इस दौरान सुरक्षा बलों ने तीन आतंकवादियों को मार गिराया। वर्ष 2016 की शुरूआत में पाकिस्तान से घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों द्वारा पठानकोट वायु सेना स्टेशन पर 2 जनवरी को इसी तरह का आतंकी हमला हुआ था । इस घटना में 7 सुरक्षाकर्मी और एक नागरिक की मौत हुई थी। सुरक्षा बलों ने सभी आतंकवादियों को मार गिराया था ।
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