लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

श्रीलंका से हम्बनटोटा छीनने के बाद अब ग्वादर पोर्ट को चाबहार से जोड़ना चाहता है चीन!

NULL

श्रीलंका ने चीन को 99 साल के लिए अपने हम्बनटोटा पोर्ट को पट्टे पर देकर सामरिक तौर पर भारत के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी थी। वही अब चीन ने भारत के सहयोग से बने चाबहार पोर्ट और पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट के बीच कनेक्शन बनाने की अपनी इच्छा ईरान के सामने रखी है।

जानकारी के मुताबिक, ईरान का कहना चीन ने ऐसी मांग रखी है कि चीनी कंपनियों द्वारा पाकिस्तान में बनाए जा रहे ग्वादर पोर्ट और ईरान के दक्षिणपूर्वी बंदरगाह चाबहार को आपस में जोड़ा जाए। चाबहार फ्री ट्रेड जोन के मैनेजिंग डायरेक्टर अब्दुलरहीम कोर्दी के हवाले से यह खबर आई है कि चीन ने ईरान को जानकारी दी है कि वह ग्वादर पोर्ट से जाने वाले सामान को मंजिल तक पहुंचाने के लिए चाबहार बंदरगाह का इस्तेमाल करने का इच्छुक है।

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि बाजार तक पहुंच बनाने की क्षमता के मामले में दोनों बंदरगाह एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं। कोर्दी ने कहा कि सेंट्रल एशिया और यूरोप में को जोड़ने के लिए सड़क और रेल कनेक्शन फैसिलिटी के मामले में चाबहार पोर्ट ग्वादर से कई गुना ज्यादा बेहतर है। ईरान में चाबहार पोर्ट के प्रोजेक्ट पर काम 2007 में शुरू हुआ था, जिसकी कुल लागत 100 करोड़ रुपये और इसमें 50 करोड़ भारत ने दिए हैं।

अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने वाला चाबहार पोर्ट सालाना मालवहन क्षमता 85 लाख टन होगी जो अभी 25 लाख टन है। चीन अपने इकनॉमिक कोरिडॉर को मजबूत करने के लिए ओबीओआर और सीपीईसी समेत जैसे कई प्रोजेक्ट चला रहा है। इसके अलावा इसी माह श्रीलंका ने भी अपना हम्बनटोटा पोर्ट चीन को 99 साल के लिए पट्टे पर दे दिया था, जो भारत से बिल्कुल नजदीक है।

चाबहार बंदरगाह जाहेदान से 645 किलोमीटर दूर है और मध्य एशिया व अफगानिस्तान को सिस्तान-बलूचिस्तान से जोड़ने वाला एक मात्र बंदरगाह है। भारत के लिए यह बंदरगाह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे भारत के लिए पश्चिमी एशिया से जुड़ने का सीधा रास्ता उपलब्ध कराएगा और इसमें पाकिस्तान का कोई दखल नहीं होगा।

देश और दुनिया का हाल जानने के लिए जुड़े रहे पंजाब केसरी के साथ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

twelve + four =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।