अमित शाह जल्द ही भाजपा अध्यक्ष और एनडीए के संयोजक दोनों रोल निभा सकते हैं। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 दिसंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान शाह को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के संयोजक बनाने का फैसला ले सकते हैं। जिसके बाद संसद में लालकृष्ण आडवाणी को अपने कमरे से हाथ धोना पड़ सकता है।
गौरतलब है कि जब 2014 में मोदी सरकार सत्ता में आई थी उस वक्त भी आडवाणी के कमरे के बाहर से उनकी नेम प्लेट हटा ली गई थी। ऐसे में आडवाणी भाजपा सांसदों के लिए आबंटित कमरे में ही एक कोने में सोफे पर आकर बैठ गए थे। तीन दिन के बाद उन्हें बैठने के लिए एनडीए अध्यक्ष का कमरा दिया गया था। अब चूंकि अमित शाह का एनडीए संयोजक बनना लगभग तय है तो आडवाणी को कमरा खाली करना पड़ेगा।
गौरतलब है कि लालकृष्ण आडवाणी संसद सत्र के दौरान बतौर सांसद नियमित रूप से संसद में अपने कक्ष में सुबह 11 बजे से पहले आ जाते हैं। वे प्रश्नकाल में जरूर मौजूद रहते हैं। प्रश्नकाल के बाद वे दोबारा अपने कक्ष में उपस्थित होते हैं और भाजपा और अन्य दलों के कई नेता उनसे आकर मिलते हैं।
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