श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में एक यात्री बस पर हमले के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों की गिरफ्तारी के लिए कश्मीर घाटी, विशेष रूप से दक्षिणी कश्मीर में व्यापक तलाशी अभियान शुरू किया गया है। इस हमले में पांच महिलाओं समेत सात तीर्थयात्रियों की मौत हो गयी और 21 अन्य घायल हुए हैं। पुलिस महानिरीक्षक मुनीर अहमद खान ने कहा कि इस हमले में लश्करे तैयबा का हाथ है।
अब तक किसी आतंकवादी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। कुछ रिपोर्टों के मुताबिक इस हमले के पीछे आतंकवादी संगठन लश्करे-तैयबा का हाथ है। इस हमले में पाक आतंकी इस्माइल का हाथ बताया जाता है। हमले में पांच से छह आतंकी शामिल थे। वरिष्ठ पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के अधिकारियों ने बताया कि आतंकवादियों ने कल सोमवार की रात आठ बजकर 20 मिनट पर अनंतनाग के बाटनगू में अमरनाथ यात्रियों के काफिले पर हमला किया। उन्होंने कहा कि इस बात की भी जांच की जा रही है कि शाम सात बजे के बाद रोड ओपनिंग पार्टी (आरओपी) को राजमार्ग और यात्रा के अन्य मार्गों से हटाने के बाद बस को जाने की अनुमति कैसे मिली।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि घाटी में पहले से ही सुरक्षाबल हाई अलर्ट पर हैं और इस हमले में शामिल आतंकवादियों की गिरफ्तारी के लिए बड़े पैमाने पर अभियान छेड़ा गया है। सुरक्षा बलों और पुलिस ने अनंतनाग और अन्य स्थानों पर छापे मारे हैं।
सूत्रों के मुताबिक श्रद्धालुओं पर किसी भी आतंकवादी हमले को रोकने के लिए श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग और अमरनाथ यात्रा के अन्य मार्गों पर अतिरिक्त सुरक्षा बलों और सेना तैनात की गई है। सुबह अनंतनाग पहुंचे सीआरपीएफ के महानिरीक्षक ने कहा कि यह जांच का मामला है कि शाम सात बजे आरओपी के हटने के बाद यात्रियों को जाने की अनुमति कैसे दी गई। हमले में शामिल आतंकवादी समूह के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि फिलहाल आतंकवादी समूह की पहचान करना जल्दबाजी होगा। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दावा किया कि यह हमला यात्रा बस पर नहीं, क्षेत्र में तैनात सीआरपीएफ और पुलिस पर था।
हमले का शिकार हुए सभी पीडि़तों का संबंध गुजरात से है। हमले को अंजाम देने के बाद आतंकवादी अंधेरे का फायदा उठाकर भागने में कामयाब रहे। बाद में स्थानीय लोगों ने घायलों को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया। यात्रियों ने कहा कि वे दो दिन पहले पवित्र गुफा मंदिर में बाबा बर्फानी का दर्शन कर श्रीनगर से जम्मू के कटरा जाने के रास्ते पर थे। उन्होंने कहा, ‘हमने श्री माता वैष्णो देवी की यात्रा और दर्शन करने की योजना बनाई थी।
घायलों की मदद और रक्तदान करने के लिये सैकड़ों स्थानीय युवा तुरंत अनंतनाग अस्पताल पहुंचे। अधिकारियों ने कहा कि युवाओं ने घायल यात्रियों के लिए रक्तदान किया। बड़ी संख्या में युवा शेरे-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसकेआईएमएस) और एसएमएचएस अस्पताल से बाहर इकट्ठा थे, ताकि तीर्थयात्रियों को सहायता और रक्त उपलब्ध कराया जा सके। इस बीच, सभी राजनीतिक दलों, सामाजिक, धार्मिक और अलगाववादी संगठनों ने इस हमले की कड़े शब्दों में ङ्क्षनदा करते हुये इसे अमानवीय करार दिया।’
मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती रात यहां पहुंचीं और स्थिति का जायजा लिया तथा घायलों का हालचाल पूछा। उन्होंने कहा कि उनके पास हमले की निंदा के लिये शब्द नहीं है। उन्होंने आतंकवादी हमले में तीर्थयात्रियों की मौत पर गहरी शोक और पीड़ा व्यक्त की और कहा कि यात्री कश्मीर के अतिथि थे और उन पर हमला कर आतंकवादियों ने राज्य के लोकाचार और संस्कृति को झटका दिया है। सुश्री मुफ्ती ने कहा कि अब समय आ गया है कि कश्मीरी इस खतरे के खिलाफ आवाज बुलंद करें। उन्होंने कहा, ‘यह न केवल हमारे मेहमानों पर बल्कि कश्मीर और कश्मीरियत पर एक बड़ा हमला है, इसके खिलाफ हम सब को खड़ा होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने घायल तीर्थयात्रियों के लिए बेहतर इलाज तथा सभी तीर्थयात्रियों को हरसंभव सुरक्षा प्रदान किए जाने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए। राज्य के उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने देर रात अनंतनाग का दौरा किया और अस्पताल में घायलों से मिले। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्थिति की जानकारी ली है। उन्होंने बताया कि घायलों को सर्वोत्तम उपचार मुहैया कराया जा रहा है और उनमें से ज्यादातर अब खतरे से बाहर हैं। मुख्य विपक्षी दल नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने भी इस हमले की कड़ी निंदा की है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने इस हमले को कश्मीरियत पर एक दाग करार दिया। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों ने यह हमला करके कश्मीर, कश्मीरियत तथा कश्मीर के लोगों को बदनाम किया है। सभी कश्मीरी इसकी कड़ी निंदा करते हैं। उन्होंने कहा, ‘हमें इस बात का गर्व रहा है कि कश्मीर में यात्रियों पर ऐसा हमला नहीं होता था और पूरे देश से वहां गए यात्री जब वापस लौटते हैं तो वहां के लोगों की सराहना करते रहे हैं।’
दूसरी तरफ अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और मोहम्मद यासीन मलिक ने भी अनंतनाग में अमरनाथ यात्रियों की हत्या पर गहरा दु:ख और शोक व्यक्त किया है।