भोपाल : मध्यप्रदेश में लगातार हिंसा, बलात्कार तथा खनन माफियाओं की कारगुजारियों को लेकर घटनाएं घटित हो रही हैं, उसको लेकर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से नाराज हैं। एससी-एसटी एक्ट में बदलाव पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दलित संगठनों ने गत दिवस जो आंदोलन किया, उसमें अलग-अलग स्थानों पर तीन जिलों में 7 लोग मारे गये।
इसके पूर्व किसान हिंसा में भी इतने ही लोग पुलिस फायरिंग में मारे गये। खनन माफियाओं द्वारा एक आईपीएस एवं एक पत्रकार की हत्या के आरोप से भी प्रदेश की सरकार बेकफुट पर है। बलात्कार के मामले में मध्यप्रदेश देश में अव्वल है। कानून-व्यवस्था के इन हालातों को देखते हुए भाजपा का शीर्ष नेतृत्व आने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी को बढ़ा नुकसान होने की संभावना जता रहा है।
मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार पर लगातार यह आरोप लगते आ रहे हैं कि प्रदेश में नौकरशाही सरकार पर हावी है। अधिकारी मुख्यमंत्री एवं मंत्रियों की बात को तवज्जो नहीं देते। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पिछले दिनों अपने तीन दिन के प्रवास पर संगठन एवं सरकार की कार्यप्रणाली पर समीक्षा करने भोपाल आए थे, उस समय भी पार्टी के विधायकों और मंत्रियों द्वारा उनके समक्ष यह मामला उठाया था कि सरकार पर ब्यूरोक्रेशी हावी है, जिसका खामियाजा आने वाले चुनावों में पार्टी को उठाना पड़ेगा।
समाचार पत्रों की सुर्खियां भी इन्हीं मुद्दों को लेकर बनी थी। इसके बाद से ही लचर कार्यप्रणाली को लेकर मुख्यमंत्री की कार्यशैली पर प्रश्न लगने लगे। प्रदेश के गृह मंत्री भूपेन्द्र सिंह की गलत बयानबाजी भी विपक्षी पार्टियों द्वारा मुद्दा बनाई गई। विपक्षी दल कांग्रेस ने कानून-व्यवस्था को लेकर राजधानी भोपाल सहित प्रदेश के कई जिलों में आंदोलन कर सरकार को घेरने का प्रयास किया और कांग्रेस इसमें सफल भी रही।
भाजपा का शीर्ष नेतृत्व चिंतित है कि यदि विधानसभा चुनावों में इन मुद्दों को लेकर पार्टी की हार होती है तो इसका सीधा असर वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा। भाजपा के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि इस बार लोकसभा चुनाव में उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान एवं मध्यप्रदेश में अपनी सीटों को बचाए रखने के लिए एक बड़ी रणनीति बनानी होगी,
लेकिन लगातार इन राज्यों में कहीं कानून-व्यवस्था तो कहीं क्षेत्रीय पार्टियों के गठजोड़ से आने वाला लोकसभा चुनाव उसके लिए कड़ी परीक्षा साबित होगा। सूत्रों से पता चला है कि पार्टी हाईकमान ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कानून-व्यवस्था के मामले में दिल्ली तलब किया है और यह भी स्पष्ट किया है कि भविष्य में इस तरह की कोई भी घटना घटित न हो।
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