यशवंत सिन्हा के बाद एक बार फिर बीजेपी के अंदर से ही एक बार फिर मोदी सरकार के खिलाफ आवाज उठायी गयी है। बता दे कि इन दिनों भारतीय जनता पार्टी के अंदर से ही विरोध के सुर बुलंद हो रहे हैं। कुछ दिन पहले ही भारतीय जनता पार्टी के नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा था। अब केन्द्रीय मंत्री अरुण शौरी ने भी केन्द्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
अरुण शौरी ने कहा है कि नोटबंदी कालेधन को सफेद करने की सरकार की बड़ी स्कीम थी। जिसके पास भी कालाधन था उसने नोटबंदी में उसे सफेद कर लिया। शौरी ने ये भी कहा है कि बड़े आर्थिक फैसले सिर्फ ढाई लोग लेते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और घर के वकील, घर के वकील को लेकर उनका इशारा वित्त मंत्री अरुण जेटली की ओर है।
अरुण शौरी ने कहा कि नोटबंदी कालेधन को सफेद करने के लिए सरकार की ओर से चलायी गयी सबसे बड़ी स्कीम थी। जिसके पास भी कालाधन था, उसने सफेद कर लिया। रिजर्व बैंक ने कहा कि नोटबंदी के बाद 99 फीसदी पुराने नोट वापस आ गये। मतलब साफ है कि नोटबंदी से कालाधन नष्ट नहीं हुआ।
उन्होंने जीएसटी को भी सरकार की विफलता बताया। उन्होंने कहा कि यह एक अहम आर्थिक सुधार है लेकिन इसका क्रियान्वयन बहुत खराब तरीके से किया गया। तीन महीने के भीतर सात बार नियम बदले गए। उन्होंने एक सामान्य कर सुधार व्यवस्था जीएसटी की तुलना भारत की आजादी से करने पर भी आश्चर्य जताया।
उन्होंने कहा कि देश की अहम आर्थिक नीतियां एक बंद कमरे में 2.5 लोग तय करते हैं, जिसमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और पीएम मोदी शामिल हैं. आधे व्यक्ति के तौर पर उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली की ओर इशारा किया.
उन्होंने यह भी कहा कि वह यशवंत सिन्हा की उस टिप्पणी से सहमत हैं कि भाजपा में कई लोग सरकार की आर्थिक नीतियों को लेकर चिंतित हैं लेकिन वह अपनी बात नहीं रख पा रहे हैं।
बता दे कि सिन्हा और शौरी दोनों पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में अहम जिम्मेदीर संभाल चुके हैं। शौरी ने जीएसटी को लेकर भी सरकार की आलोचना की।