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भेल की सौर ऊर्जा परियोजना लटकी

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भोपाल : भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) भोपाल की यहां जम्बूरी मैदान में प्रस्तावित सौर ऊर्जा परियोजना पिछले डेढ़ साल से मध्य प्रदेश सरकार की अनुमति की बाट जोह रही है। इस वजह से परियोजना पर काम शुरू नहीं हो पाया है। माना जाता है कि इस मैदान पर पिछले कुछ वर्षों से मध्य प्रदेश सरकार अपने सरकारी कार्यक्रमों एवं सभाओं का आयोजन कर रही है, जिसके कारण अनुमति नहीं दी जा रही है।

भेल भोपाल के प्रवक्ता विनोदानंद झा ने बताया, ‘‘भेल भोपाल कारखाने से सटी हुई करीब 200 एकड़ जमीन कंपनी की है। यह जम्बूरी मैदान के नाम से जानी जाती है और कंपनी की यहां विस्तार की योजना है। इस जम्बूरी मैदान की 50 एकड़ जमीन पर भेल भोपाल का सौर ऊर्जा संयंत्र करीब डेढ़ साल से प्रस्तावित है।

जिलाधिकारी की अनुमति नहीं मिलने के कारण परियोजना अटकी पड़ी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने केन्द्रीय गैर पारंपरिक ऊर्जा विभाग से इस परियोजना के लिए पहले से ही मंजूरी ले रखी है, ताकि गैर पारंपारिक ऊर्जा को बढ़ावा देने की पहलों के तहत हमें भी केन्द्र सरकार से सब्सिडी मिले।’’ वहीं, भोपाल जिलाधिकारी सुदाम खाड़े ने बताया, ‘‘जम्बूरी मैदान में सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए भेल ने हमसे अनुमति मांगी थी।

इस पर भेल के साथ चर्चा चल रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जम्बूरी मैदान की जमीन भेल की है। शहर के बाहरी इलाके में होने के कारण इसमें सरकार के बड़े कार्यक्रम एवं सभाएं आयोजित होती हैं।’’ खाड़े ने बताया कि जम्बूरी मैदान सरकारी कार्यक्रमों के आयोजन के लिए उपयुक्त स्थल है। यहां आयोजन होने से शहर के अंदर किसी तरह का व्यवधान नहीं होता। इसलिए इस पर सौर बिजली संयंत्र बनाया जाए या न बनाया जाए, इस पर भेल के साथ बातचीत जारी है।

हालांकि, भेल प्रवक्ता झा ने बताया, ‘‘भोपाल कलेक्टर कह रहे हैं कि जम्बूरी मैदान के अलावा कहीं और जमीन चिह्नित कर लो, भोपाल या इसके आसपास कहीं भी। राज्य सरकार वहां संयंत्र लगाने के लिए जमीन दिलाने में भेल की पूरी मदद करेगी।’’ उन्होंने बताया, ‘‘यदि प्रदेश सरकार राज्य के किसी भी शहर में इस जम्बूरी मैदान के बदले जमीन देती है, तो ग्रिड से जोड़कर भेल कारखाने के लिए बिजली लायी जा सकती है।

हालांकि, जम्बूरी मैदान में मिलता तो अच्छा होता, क्योंकि यह भेल कारखाने से सटी हुई जमीन है।’’ झा ने कहा, ‘‘आजकल सौर पैनल अलग-अलग प्रकार के आ रहे हैं। इसलिए यह नहीं बताया जा सकता कि इससे कुल कितनी मेगावॉट बिजली पैदा होगी। लेकिन इस परियोजना से कम से कम 10 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होगा, जो भोपाल कारखाने के लिए पर्याप्त होगी।’’

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