पटना : देश मे पहली बार बिहार के 20 हजार किसानों को कृषि इनपुट अनुदान देने के लिए आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार के किसान भी सिक्किम की तरह जैविक खेती को ज्यादा से ज्यादा अपनाएं। 2005.06 में बिहार का कृषि बजट मात्र 20 करोड़ था जो 2018.19 में बढ़ कर 2ए266 करोड़ हो गया हैए यानी पिछले 13 वर्षों में 113 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
देश मे सब्जी उत्पादन में बिहार तीसरे स्थान पर हैए प्रयास कर किसान इसे दूसरे स्थान पर लाएं। विगत वर्ष 2017.18 में बैंकों के जरिये किसानों को 40 हजार करोड़ का ऋण वितरित किया गया था जबकि 2018.19 में 60 हजार करोड़ ऋण बांटने का निर्देश दिया गया है।
अगले साल मार्च तक बिहार के किसान डीजल की जगह बिजली से खेती करेंगे क्योंकि केंद्र सरकार के सहयोग से 6 हजार करोड़ की लागत से कृषि के लिए अलग फीडर का निर्माण किया जा रहा है जिससे किसानों को कृषि कार्य के लिए 8.10 घंटे बिजली मिलेगी। श्री मोदी ने कहा कि पहली हरित क्रांति पंजाब व अन्य जिन राज्यों में हुई वहां रसायनिक खाद का अधिकतम प्रयोग व पानी के दोहन से जमीन बंजर हो गई तथा कीटनाशक के अत्यधिक प्रयोग से खाद्य पदार्थ प्रदूषित हो गया।
यह भ्रांति है कि रसायनिक खाद के प्रयोग से उपज बढ़ती है। 1980 में 1 केजी रसायनिक उर्वरक के प्रयोग से 50 केजी गेहूं का उत्पादन हुआ जबकि आज मात्र 8 किलो हो रहा है। यूरिया के प्रयोग को कम करने के लिए ही भारत सरकार ने उसे नीम कोटेट करने के अलावा 50 केजी की जगह बोरे में 45 केजी भरना प्रारम्भ किया है।
श्री मोदी ने कहा कि बिहार में जैविक खेती को बढ़ावा देने व किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार जैव उर्वरक पर 40 प्रतिशत वर्मी कम्पोस्ट,गोबर गैस प्लांट,जैव कीटनाशी आदि पर 50 प्रतिशत तक अनुदान दे रही है। आंध्र प्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि जैविक खेती से वहां मूंगफली के उत्पादन में 35 प्रतिशत,बैगन में 34 धान व गेहूं में 10-12 प्रतिशत वृद्धि हुई है। इसीलिए बिहार में भी जैविक खेती को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देने की जरूरत है।
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