उत्तर प्रदेश में दो लोकसभा सीटों पर अहम उपचुनाव हार जाने के बाद BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की खेल में वापसी होती नज़र आई। आपको बता दे की गुजरात में राज्यसभा चुनाव के दौरान जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी ने अहमद पटेल को राज्यसभा पहुंचने से रोकने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकी थी, कुछ इसी तरह से इस बार पार्टी उत्तर प्रदेश में मायावती के उम्मीदवार को राज्यसभा भेजने से रोकने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रही है।
उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 सीटों के लिए 23 मार्च को चुनाव होना है। भाजपा 324 विधायकों के साथ मजबूत स्थिति में है और इस संख्याबल के आधार पर आसानी से अपने 8 उम्मीदवारों को राज्यसभा भेज सकती है, लेकिन भाजपा ने नौवे उम्मीदवार के रुप में अनिल अग्रवाल को मैदान में उतारकर मुकाबला रोमांचक कर दिया है।
बता दें कि राज्यसभा की एक सीट के लिए 37 विधायकों का समर्थन जरुरी है। ऐसे में भाजपा के उत्तर प्रदेश से 8 राज्यसभा सांसद आसानी से बन सकते हैं। वहीं समाजवादी पार्टी 47 विधायकों के साथ अपनी उम्मीदवार जया बच्चन को राज्यसभा भेज सकती है। बाकी उसके 10 विधायक बसपा को वोट देंगे, क्योंकि बसपा के पास सिर्फ 19 विधायक हैं, ऐसे में बसपा को 18 वोटों की ओर जरुरत पड़ेगी।
समाजवादी पार्टी के 10 वोटों के साथ ही बसपा की कोशिश कांग्रेस के 7 और रालोद के 1 विधायक का समर्थन लेकर अपने उम्मीदवार को जिताने की है, लेकिन भाजपा की कोशिश है कि निर्दलीय विधायकों का समर्थन लेकर बसपा के उम्मीदवार को राज्यसभा जाने से रोका जाए। उल्लेखनीय है कि 8 सीट जीतने लायक वोट के बाद भी भाजपा के पास 27 अतिरिक्त वोट हैं, जिनकी मदद से पार्टी अपने नौवें उम्मीदवार अनिल अग्रवाल को राज्यसभा भेजने की जुगत में है।
उधर समाजवादी पार्टी पर भी गठबंधन धर्म निभाने का दबाव है और उसे यह सुनिश्चित करना है कि बसपा का उम्मीदवार चुनाव जीते, लेकिन अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो 2019 के लोकसभा चुनावों पर इसका बड़ा असर पड़ सकता है। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश में राज्यसभा का चुनाव बेहद दिलचस्प हो गया है और सभी पार्टियां अपने-अपने स्तर पर तैयारियों में जुटी हैं। आज लखनऊ में होने वाली डिनर डिप्लोमैसी भी इन तैयारियों का अहम हिस्सा है।
अन्य विशेष खबरों के लिए पढ़िये पंजाब केसरी की अन्य रिपोर्ट।