रायपुर : चुनावी साल में छत्तीसगढ़ में सियासी घमासान का नजारा भी दिलचस्प होगा। इस मामले में सभी राजनीतिक दलों की ओर से जोर आजमाईश होगी। हालांकि राज्य में कांग्रेस और भाजपा के बीच ही सीधा मुकाबला होता रहा है। चुनावी परिणाम दोनों ही दलों के इर्दगिर्द घूमते रहे हैं। इसके बावजूद नए सिरे से कवायदें होगी। इस बार चुनावी मैदान में भाजपा और कांग्रेस के सीधे मुकाबले के बीच कई दलों की नजरें टिकी हुई है।
नए क्षेत्रीय दल के तौर पर छजकां भी इस चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने कवायदों में जुटा हआ है। इधर आम आदमी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने भी ताल ठोंकी हुई है। दूसरी तरफ अब समाजवादी पार्टी फिर इस चुनाव में दो-दो हाथ करने की तैयारी में है। वहीं राष्ट्रीय स्तर के दिग्गजों का भी चुनाव में जमावड़ा होगा।
इसमें उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और अखिलेश यादव के अलावा दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के दौरे के कार्यक्रम बन रहे हैं। इधर वाम दलों के दिग्गज भी छत्तीसगढ़ में संभावनाएं तलाश रहे हैं। इनमें सीताराम येचुरी,संजय राऊत और वृंदा करात के नाम सामने आए हैं। जद यू के अध्यक्ष एवं दिग्गज नेता शरद यादव का भी छत्तीसगढ़ दौरे की सुगबुगाहट है।
सभी नेता एक तरह से विपक्ष के समर्थन में ही मैदान में सामने आ सकते हैं। शीर्ष नेताओं का भाजपा के खिलाफ प्रचार अभियान में उतरना भी प्रदेश में नए सियासी समीकरणों को सामने ला सकता है। अरविंद केजरीवाल बीते माह ही छत्तीसगढ़ की राजधानी में बड़ी जनसभा कर लौटे हैं। इधर भाजपा और कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं का लगातार आना जाना लगा हुआ है। हालांकि सभी दिग्गज अपने दलों के लिए माहौल बनाएंगे इसके बावजूद विपक्ष के दिग्गजों के दौरे से राज्य में सत्ताधारी दल को जरूर कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
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