डोकलाम विवाद के बाद चीन ने दक्षिण भारत की एक महत्वाकांक्षी हाई स्पीड ट्रेन परियोजना को अधर में लटका दिया है. इस परियोजना से जुड़ी चाइनीज रेलवे ने करीब छह माह से सरकार की ओर से भेजे गए कई अनुरोधों पर कोई जवाब नहीं दिया है. अधिकारियों का मानना है कि ऐसा डोकलाम विवाद के कारण हुआ है.रेलवे ने चीन की रेलवे मिनिस्ट्री को जितने भी ईमेल किए उनका भी कोई जवाब नहीं आया। रेलवे के अफसरों का कहना है कि चीन डोकलाम का बदला लेने के लिए इस तरह की हरकत कर रहा है।
चेन्नई, बेंगलुरु- मैसूर हाई स्पीड ट्रेन कॉरिडोर 492 किलोमीटर लंबा है। इस प्रोजेक्ट का कॉन्ट्रैक्ट चीन की एक कंपनी को दिया गया है। कंपनी ने नवंबर 2016 में अपनी फाइनल प्रोजेक्ट रिपोर्ट रेलवे मिनिस्ट्री की मोबिलिटी डायरेक्टोरेट को भेज दी थी। चीन की कंपनी ने कहा था कि वो इस प्रोजेक्ट को शुरू करने से पहले इंडियन रेलवे के बोर्ड मेंबर्स से आमने-सामने बात करना चाहती है। अब रेलवे मिनिस्ट्री चीन की कंपनी को ईमेल भेज रहे हैं लेकिन, वहां से अब तक कोई जवाब नहीं मिल पाया है। न्यूज एजेंसी ने रेलवे की एक इंटरनल रिपोर्ट के हवाले से यह जानकारी दी है। चीन ने आगे बातचीत के लिए कोई तारीख भी तय नहीं की है। रिपोर्ट में प्रोजेक्ट की देरी के लिए चीन की कंपनी को जिम्मेदार ठहराया गया है। इसमें कहा गया है कि चीन की तरफ से कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया जा रहा है।
प्रोजेक्ट का कॉन्ट्रैक्ट चाइना रेलवे रेयुआन इंजीनियरिंग ग्रुप कंपनी लिमिटेड (CREEC) को दिया गया है। रेलवे के अफसरों के मुताबिक, पिछले 6 महीने में कई मेल इस कंपनी को भेजे गए। लेकिन, उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। रेलवे मिनिस्ट्री के अफसरों के मुताबिक, चीन की तरफ से की जा रही लेट-लतीफी की वजह डोकलाम विवाद है। बता दें कि सिक्किम के ट्राईजंक्शन एरिया में चीन एक सड़क बनाना चाहता था। भूटान ने भारत से मदद मांगी तो भारतीय सेना ने चीन के सैनिकों को वहां सड़क बनाने से रोक दिया। यह विवाद 16 जून से 28 अगस्त तक चला। बाद में डिप्लोमैटिक तरीके से इसे सुलझा लिया गया। इस प्रोजेक्ट की स्टडी 2014 में शुरू हुई थी। रिपोर्ट पिछले साल सबमिट की गई। रेलवे के मुताबिक- प्रोजेक्ट में देरी की वजह डोकलाम का मुद्दा ही हो सकता है। खास बात यह है कि चीन की एम्बेसी भी इस मामले पर कुछ बोलने से बच रही है।