सभ्यताएं बदलती हैं परंतु संस्कृति नहीं : पवैया - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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सभ्यताएं बदलती हैं परंतु संस्कृति नहीं : पवैया

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ग्वालियर : मूल्य अक्षुण्ण होते हैं। सभ्यताएं समय के साथ बदलती रहती हैं। लेकिन मूल्य व संस्कृति कभी नहीं बदलते। मूल्यों में आसानी से परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। हमें उच्च मूल्यों को अपनाना चाहिए। यही भारतीय संस्कृति का सार है। यह बात उच्च शिक्षा मंत्री श्री जयभान सिंह पवैया ने मध्यप्रदेश शिक्षक संघ मध्यभारत प्रांत संगोष्ठी के आयोजन के दौरान कही।

संगोष्ठी में ‘शाश्वत जीवन मूल्य’ विषय पर चर्चा की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रांतीय महामंत्री छत्रवीर सिंह राठौर ने की। उच्च शिक्षा मंत्री श्री जयभान सिंह पवैया ने कहा कि संगोष्ठी विचारों के आदान-प्रदान का कार्यक्रम है। आज आयोजित संगोष्ठी में शाश्वत जीवन मूल्य विषय पर चर्चा की जा रही है। यह ऐसा विषय है जो भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण भाग है।

उन्होंने डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के विचारों को साझा करते हुए कहा वे कहते थे कि शिक्षक अपने आप को विद्यार्थी समझकर कार्य करें। उन्होंने कहा कि शिक्षक विद्यार्थी के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा जो मूल्ययुक्त हो, प्रदान करें। तभी विद्यार्थी अच्छे मूल्यों को सीखेंगे और देश का युवा संस्कारवान बनेगा। मंत्र श्री पवैया ने कहा कि हम जैसे-जैसे आगे बढ़ रहे हैं, वैसे ही मूल्यों का क्षरण हो रहा है। हर व्यक्ति में मेरा क्या होगा का भाव उत्पन्न हो रहा है।

व्यक्ति राष्ट्रवाद की भावना से दूर होकर स्वार्थी न बने। उन्होंने कहा हमें यह विचार करना है कि हमारे देश व हमारी संस्कृति ने हमें बहुत कुछ दिया है और हम क्या दे सकते हैं। उन्होंने कहा मनुष्य के भीतर प्रामाणिकता का भाव होना चाहिए। आचरण की सुचिता यदि हमारे भीतर नहीं है तो हम दूसरों को उपदेश नहीं दे सकते। उन्होंने कहा समाज में जो भी सामाजिक बुराई एवं कुरीतियां व्याप्त हैं। उन्हें उखाड़ फेंकने की शक्ति हमारे अंदर होनी चाहिए।

सामाजिक बुराईयों को दूर करने के लिये समाज को ही प्रयास करना होगा। मंत्री पवैया ने कहा कि भारतीय संस्कृति सर्वोच्च है। भारतीय संस्कृति में उच्च मूल्य विराजमान हैं। इसी कारण भारतीय संस्कृति को दुनिया में श्रेष्ठ माना जाता है। उन्होंने कहा हमें हमारी संस्कृति से विरासत में उच्च मूल्य मिले हैं, इनका संरक्षण करना है। इसके साथ ही आने वाली पीढ़ी में भी इन्हें विकसित करना है। भारत का दर्शन दूसरों की सेवा करना है। इसी सेवाभाव ने हमारे आदर्शों को निर्मित किया है।

इससे पूरा विश्व प्रेरणा लेता है। इस अवसर पर शिक्षक संघ के संरक्षक एवं संस्थापक सदस्य श्री बैजनाथ शर्मा, संगठन महामंत्री श्री चंद्रपाल सिंह सेंगर, छत्तीसगढ़ में संघ का कार्य संचालित करने वाले श्री भारत सिंह चौहान सहित बड़ी संख्या में शिक्षकगण उपस्थित थे। इसके साथ ही मध्यप्रदेश शिक्षक संघ के विभिन्न जिलों के पदाधिकारी भी उपस्थित थे। इनमें मुरैना से श्री रामबरन सिकरवार, भिण्ड से श्री भोला सिंह कुशवाह, शिवपुरी से श्री सुशील अग्रवाल, श्योपुर से श्री कमल सिंह गौतम, दतिया से श्री शैलेश खरे, सीहोर से श्री विनय सिंह चौहान शामिल हैं।

शिक्षक संघ के प्रांतीय महामंत्री श्री छत्रवीर सिंह ने कहा कि भारत देश से जीवन मूल्यों की परंपरा पूरे विश्व को प्राप्त हुई है। हमारे पूर्वन बहुत शिक्षित नहीं थे, लेकिन जीवन मूल्यों की धरोहर हमारे पास है। वह विश्व में किसी और के पास नहीं है। उन्होंने कहा हमें अपने मूल्यों को क्षरण होने से रोकना है। इन्हें पुन: जीवित करना है। कार्यक्रम में उपस्थित श्री रामवीर सिंह जादौन ने कहा शिक्षक संघ एक संगठन के रूप में राष्ट्रहित में कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत महान देश है।

जीवन मूल्य भारतीयों के रक्त में समाहित है। प्राचीन भारत में विदेशों से आए यात्रियों ने अपने वर्णन में भारत की समृद्धि का वर्णन किया है। हमें हमारे मूल्यों को जीवित रखना है। इनका क्षरण रोकना है। संगोष्ठी में जिला शिक्षा अधिकारी श्री आर एन नीखरा एवं जिला परियोजना समन्वयक श्री विजय दीक्षित ने भी शाश्वत जीवन मूल्य विषय पर चर्चा की और अपने विचार व्यक्त किए।

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