अलग गोरखालैंड की मांग को लेकर दार्जिलिंग में शुरू हुई हड़ताल अब रेकॉर्ड की तरफ बढ़ रही है। आपको बता दे कि 15 जून से जारी इस हड़ताल का शनिवार को 45वां दिन है। इससे पहले दार्जिलिंग इतने लंबे समय के लिए बंद नहीं रहा। इससे पहले गोरखा जनमुक्ति मोर्च ने ही साल 2013 में जुलाई से अगस्त महीने में 42 दिन तक हड़ताल की थी।
अपेक्षाकृत हफ्ते की शांति के बाद दार्जिलिंग पहाड़ियों में आज फिर हिंसा हुयी जब गोरखालैंड समर्थकों की सुकना इलाके में पुलिस के साथ झड़प हुयी।
दार्जिलिंग जिला प्रशासन सूत्रों के मुताबिक चाकुओं, तलवारों और पारंपरिक खुकरी से लैस होकर गोरखालैंड के समर्थकों ने जबरदस्ती सिलीगुड़ी में घुसने की कोशिश करते हुए मांग की कि सिलीगुड़ी को प्रस्तावित गोरखालैंड में शामिल किया जाए।
पुलिस ने सुकना रोड क्रासिंग के निकट सड़क पर अवरोधक डाले और उन्हें वापस जाने को कहा। लेकिन प्रदर्शनकारियों ने दो नाके तोड़ दिए और पुलिस पर पथराव किया। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हल्का बल प्रयोग किया। प्रदर्शनकारी हिंसक हो गये और पास में लगे हुए कुछ वाहनों में आग लगा दी।
गोरखालैंड के समर्थकों ने सुकना सिलीगुड़ी रोड पर धरना दिया। जीजेएम नेतृत्व ने दावा किया कि पुलिस ने गोलियां चलायी जिसका जिला प्रशासन ने खंडन किया। हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस और सुरक्षा बलों की एक टुकड़ी रवाना की गयी।
अलग गोरखालैंड राज्य की मांग पर दबाव बनाने के लिए अनिश्चितकालीन हड़ताल की वजह से दार्जिलिंग पहाडय़िों में जन जीवन प्रभावित हुआ है। दवा दुकानों को छोड़कर, कारोबारी प्रतिष्ठान, रेस्तरां, होटल, स्कूल और कॉलेज बंद है।