रायपुर : छत्तीसगढ़ के झीरम घाटी से कांग्रेस ने बस्तर में अपनी संकल्प यात्रा का आगाज कर दिया है। बस्तर में चुनावी समीकरणों को राजनीतिक नजरिए से अहम माना जाता है। झीरम हत्याकांड की पांचवी बरसी में संकल्प शिविरों के आगाज के कई राजनीतिक मायने भी माने जा रहे हैं। इस मामले में कांग्रेस के संकल्प शिविरों की श्रृंखला शुरू हो गई है।
बीते चुनाव में बस्तर में मिली सफलता को दोहराने में कांग्रेस कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही है। कांग्रेस के दिग्गजों ने बस्तर में शहीद नेताओं को श्रद्धांजली के साथ मिशन का आगाज किया है। इधर मुख्यमंत्री ने भी अपनी विकास यात्रा का बस्तर से ही आगाज किया है। हालांकि प्रदेश में चुनावी जंग एक तरह से विकास के मुद्दे पर ही टिकी है। सीएम की विकास यात्रा के जवाब में कांग्रेस ने विकास खोजो यात्रा का आगाज कर चुनौती दी है। कांग्रेस ने सीएम और सांसद के गोद ग्राम में जाकर विकास नहीं होने के आरोप लगाए थे।
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस की रणनीति बस्तर अंचल में ही विकास के मुद्दों को झुठलाने की है। बस्तर में पहले ही आदिवासी अधिकारों के हनन और वन अधिकार कानून के उल्लंघन को लेकर माहौल बनाने में विपक्ष ने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। यही वजह है कि इस बार बस्तर के समीकरणों को रोचक और निर्णायक माना जा रहा है।
हालांकि संकल्प यात्रा के जरिए संकल्प शिविरों में कांग्रेस बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं को रिचार्ज कर टास्क सौंपने की रणनीति पर आगे बढ़ रही है। वहीं बस्तर के संवेदनशील और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के बूथों में कांग्रेस की टीम और कमेटियां चुनावी लिहाज से अहम हो सकती है। दिग्गजों ने बस्तर में पूरी ताकत झोंकी हुई है। वहीं झीरम हत्याकांड के बाद से ही बस्तर में कांग्रेस को लगातार सफलताएं भी मिली है।
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