रायपुर : छत्तीसगढ़ के चुनावी मिशन में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के दौरे ने सरगर्मियां बढ़ा दी। वहीं दो दिनों के धुआंधार दौरे और कार्यक्रमों ने एक तरह से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाया। छत्तीसगढ के दौरे में राहुल एक तीर से कई निशाने लगाने में सफल रहे। वहीं दूसरी ओर नए सिरे से राज्य में कांग्रेस की रणनीतियों को आगे बढ़ाया। राजनीतिक तौर पर भी राहुल संदेश देने में सफल रहे।
राज्य में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर ताकत दिखाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष को चुनावी मिशन के लिए सीधा संकेत दिया। प्रेक्षकों की मानें तो राहुल गांधी का दौर छत्तीसगढ़ में चुनावी मिशन की दिशा तय करेगा। वहीं कांग्रेस के नेताओं को एकजुटता के साथ मुकाबला करने में ऊर्जा देगा। राहुल ने कांग्रेस की विचारधारा को सामने रखते हुए इस दौरान एक तरह से तीखे प्रहार कर सत्ताधारी दल की घेरेबंदी की।
इस दौरे में वे मोदी और रमन सरकार के खिलाफ अधिक आक्रामक नजर आए। कांग्रेस में हार के कारणों को दूर कर संगठनात्मक नजरिए से भी उन्होंने संदेश दिया। वहीं निचले स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ सीधी बात कर उनसे खामियां पूछी। आदिवासी और किसान सम्मेलन के जरिए भी प्रदेश में बड़े तबके को साधने की कोशिशें नजर आई है। चार संभागों के चार बड़े कार्यक्रमों में उन्होंने बिना किसी लाग लपेट के एक तरह से पार्टी कार्यकर्ताओं को सीधा ईशारा किया।
यही भी कह दिया कि पार्टी को नफे और नुकसान की कीमत पर विचारधारा और सिद्धांतों से समझौते नहीं करेंगे। राहुल ने देश की मौजूदा परिस्थितियों को सामने रखते हुए सरकार के कारनामों की भी खुलकर धज्जियां उड़ाई। अपेक्षा से अधिक भीड़ जुटाकर नए सिरे से उन्होंने कार्यकर्ताओं में भी जोश भरा। राहुल के छत्तीसगढ़ दौरे के कई राजनीतिक मायने हैं। वहीं चुनावी नजरिए से भी अब संगठन का पड़ाव अहम माना जा रहा है।
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