20 आप विधायकों के लाभ के पद के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि वह मामले की अगली सुनवाई तक दिल्ली उपचुनाव की कोई अधिसूचना जारी न करे। दिल्ली हाईकोर्ट ने यह फैसला आम आदमी पार्टी के उन आठ विधायकों की याचिका पर सुनाई जिन्हें लाभ का पद पाने के मामले में अयोग्य करार दिया गया है। वही , इस मामले में अगली सुनवाई सोमवार को होगी।
साथ ही दिल्ली हाई कोर्ट चुनाव आयोग से कहा कि वह मामले की अगली सुनवाई तक दिल्ली में उपचुनाव की कोई अधिसूचना जारी न करे। हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को अपना जवाब देने के लिए 6 फरवरी तक का समय दिया है।
आपको बता दे कि बुधवार को सुनवाई के दौरान विधायकों की तरफ से कहा गया कि उनके साथ जो कुछ हुआ है वह अन्याय है। सुनवाई के दौरान आप विधायकों ने सोमवार तक चुनाव की घोषणा होने की आशंका जताई। जिसपर हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से इस मसले पर सोमवार तक उपचुनाव की घोषणा ना करने के लिए कहा है। हाइकोर्ट ने अभी राष्ट्रपति के आदेश पर कोई स्टे नहीं लगाया है। विधायकों ने दलील दी कि चुनाव आयोग ने उनकी बात नहीं सुनी और नए चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने खुद को इस सुनवाई से अलग कर लिया है।
विधायकों ने दावा किया कि हमारे खिलाफ ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला बनता ही नहीं है। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मसले पर कहा है कि वह इस मामले पर विस्तृत सुनवाई सोमवार को करेंगे। तब तक चुनाव आयोग उपचुनाव की घोषणा ना करें. राष्ट्रपति के आदेश के बाद सदस्यता गंवाने वाले 20 विधायकों में से कुल 8 पूर्व विधायकों की ये याचिका लगाई है।
बता दें कि इन अयोग्य विधायकों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के उस नोटिफिकेशन को रद्द करने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया है। जिसकें बाद दिल्ली सरकार के ये विधायक पूर्व विधायक बन गए हैं।
इससे पहले , 19 जनवरी को चुनावी पैनल ने 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की थी, जिसे राष्ट्रपति से स्वीकृति मिल गयी थी। 20 जनवरी को कानून एवं न्याय मंत्रालय ने अधिसूचना जारी की थी कि राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) अधिनियम की धारा 15 (1) (ए) के तहत 20 विधायकों को अयोग्य करार दिया है।
निर्वाचन आयोग (ईसी) ने वकील प्रशांत पटेल की ओर से दायर याचिका पर फैसला करते हुए यह सिफारिश की थी। पटेल ने आरोप लगाया था कि विधायक जैसे लाभ के पद पर रहते हुए 21आप विधायक संसदीय सचिव के पद पर आसीन हैं । उन्होंने इन 21 आप विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की थी। बहरहाल राजौरी गार्डन से विधायक जरनैल सिंह के इस्तीफा दे देने के कारण उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं की गयी।
जानिए क्या है मामला !
आप पार्टी ने अपने 20 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था। इसके खिलाफ आवाज उठने लगीं और कहा गया कि यह ‘ऑफिस ऑफ प्रॉफिट’ यानी लाभ के पद का मामला है। लाभ के पद के तहत मंत्रियों जैसी कुछ सुविधाएं मिलती हैं, लेकिन कोई विधायक ऐसे किसी पद पर नहीं रह सकता। विवाद के बाद दिल्ली सरकार ने नियमों में बदलाव करने वाला बिल दिल्ली विधानसभा में पास करवा लिया था, लेकिन उसे एलजी से मंजूरी नहीं मिली थी।
हाल में चुनाव आयोग ने AAP के 20 विधायकों को लाभ के पद पर रहने का हवाला देते हुए अयोग्य करार दिया था। आयोग के इस संबंध में अपनी सिफारिश राष्ट्रपति को भेजी थी। शुक्रवार को राष्ट्रपति के पास भेजी गई सिफारिश को रविवार को मंजूरी मिल गई और सभी 20 विधायक अयोग्य करार दिए गए।
देश की हर छोटी-बड़ी खबर जानने के लिए पढ़े पंजाब केसरी अख़बार।