आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली के 20 विधायको की सदस्यता निरस्त करने की संस्तुति की आलोचना करते हुए आज कहा कि निर्वाचन आयोग का यह रवैया पक्षपातपूर्ण है। आप प्रवक्ता और राज्य सभा सदस्य संजय सिंह ने यहां पत्रकारों से कहा कि चन्द दिनों में अवकाश ग्रहण करने जा रहे मुख्य चुनाव आयुक्त ए के ज्योति ने प्रधानमंत्री को खुश करने के लिये यह संस्तुति की है।
उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग का यह निर्णय अनुचित है और ऐसा फैसला कभी नहीं हुआ है। प्रश्चिम बंगाल, गुजरात, छत्तीसगढ़, पंजाब, झारखंड और दिल्ली में भी विधायकों को संसदीय सचिव बनाया गया था। संसदीय सचिव को अवैध ठहराया गया, लेकिन विधानसभा की सदस्यता निरस्त नहीं की गई। दिल्ली में आप विधायकों के साथ ही ऐसा क्यों किया गया।
उन्होंने दावा किया कि उनके पास पूरी सूचना है कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त से अन्य दोनों आयुक्त सहमत नहीं थे। उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस करने वाले सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीशों का जिक्र करते हुए कहा कि वे तो कह ही चुके हैं कि लोकतंत्र बचाये रखने के लिये कुछ करना होगा। उनके बयान की पुष्टि मुख्य निर्वाचन आयुक्त की इस मामले में संस्तुति से भी हो जाती है।
उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सरकार का इस्तीफा मांग रही कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की आलोचना करते हुए कहा कि गुजरात, पंजाब और कुछ अन्य राज्यों के विधायकों का इसी तरह मामला था, क्या उन सरकारों से भी इस्तीफा मांगा गया था। उन्होंने बताया कि आप ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। सोमवार को सुनवाई की उम्मीद है।
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