नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सबसे पुरानी सहयोगी शिवसेना की तीन दशक पुराने अपने गठबंधन को छोड़ कर आगामी चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा को फिलहाल कोई तवज्जो नहीं देगी। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, शिवसेना या कोई भी दल अपनी पार्टी के मंच पर कोई भी फैसला करने या राजनीतिक बात कहने के लिए स्वतंत्र है। उनके अंदरूनी मामलों को लेकर भाजपा को कुछ भी नहीं कहना है।
सूत्रों ने कहा कि शिवसेना भले ही कुछ भी कह रही हो, पर वह केन्द, सरकार और महाराष्ट्र सरकार में हमारी सहयोगी है और उसने भाजपा को इस बारे में कुछ भी नहीं बताया है। लिहाजा उनके राजनीतिक बयान को भाजपा संज्ञान में नहीं लेगी। मुंबई में शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे की जयंती पर पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के आवास‘मातोश्री’में बैठक हुई जिसमें राजग से अलग होने और आगामी लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला लेने के साथ ही श्री आदित्य ठाकरे को दल की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में शामिल किये जाने का भी निर्णय लिया गया।
श्री आदित्य ठाकरे श्री उद्धव ठाकरे के पुत्र हैं। वह काफी दिनों से शिवसेना की युवा सेना की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। शिवसेना सांसद संजय राउत ने पार्टी की इस अहम बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि पार्टी ने राजग से जुदा होने का फैसला किया है और वह 2019 में होने वाले लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव अकेले लड़गी। श्री राउत की इस घोषणा के साथ ही भाजपा और शिवसेना के गठबंधन पर काले बादलों का साया मंडराने लगा है।
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