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स्वाभिमान के साथ जीने का अधिकार है चौपाल : गोयल

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नई दिल्ली : देश में आज भी एक बड़ा तबका आर्थिक रूप से कमजोर है। जब उन्हें रुपयों की जरूरत पड़ती है तो बैंक से आसानी से ऋण नहीं मिलता, तब वे साहूकारों से कर्ज ले लेते हैं। मगर लेनदारों की उम्र मोटा ब्याज और कर्ज चुकाने में ही गुजर जाती है। मगर महिलाओं के लिए तो यह स्थिति और भी कष्टदायक होती है। जब वे मदद मांगती हैं तो उन्हें शोषण का शिकार होना पड़ता है। मगर ‘चौपाल’ ऐसी महिलाओं की आर्थिक मदद कर उन्हें समाज में स्वाभिमान और इज्जत के साथ जीने का अधिकार देती है।

उक्त बातें प्रेम जी गोयल (वरिष्ठ प्रचारक आरएसएस) ने यमुना विहार में आयोजित स्वदेशी जागरण फाउंडेशन के तत्वावधान में चौपाल द्वारा 69वें लघु ऋण वितरण समारोह के अवसर पर कहीं। इस मौके पर वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की चेयरपर्सन एवं ‘चौपाल’ की वरिष्ठ संरक्षिका किरण चोपड़ा, चौपाल के निदेशक जितेंद्र महाजन, श्याम सुन्दर अग्रवाल, समाजसेवी तारा चंद पटवारी, आरआर शर्मा व चौपाल परिवार के सदस्य समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।

कार्यक्रम के दौरान मंच का संचालन प्रमोद गुप्ता (जोन चेयरमैन ईडीएमसी) ने किया किया। इस अवसर पर 500 जरूरतमंद महिलाओं को 10 व 15 हजार रुपए ऋण वितरण किया गया। वहीं 51 लोगों को केसरी ई-रिक्शा वितरित किए गए। जिसमें 13 महिलाएं भी शामिल हैं।

प्राचीन परंपरा की ओर लौट रहा देश
स्वरोजगार करेंगे और स्वाभिमान के साथ जिएंगे। यही हमारे देश की प्राचीन परंपरा थी। मगर अंग्रेज आए और उन्होंने नई परंपरा शुरू की, आठवीं कक्षा तक पढ़ो और नौकरी करो। उसके बाद नौकरी के लिए १०वीं कक्षा फिर 12वीं कक्षा। मगर आज ये आलम है कि हाई एजुकेशन के बाद भी लोग बेरोजगार हैं। चौपाल ने कुछ सोचने को मजबूर किया। चौपाल की सोच हर हाथ में काम की वजह से देश प्राचीन परंपरा की ओर लौट रहा है।

‘पकौड़ा’ पर राजनीति करने वाले ‘चौपाल’ में आकर देखें
चौपाल की वरिष्ठ संरक्षिका किरण चोपड़ा ने ‘पकौड़ा तलने’ पर राजनीति करने वालों पर करारा तंज कसा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब कहा था कि काम करो पकौड़े तलो, तब कुछ लोगों ने उनका मजाक उड़ाया। मैं ऐसे लोगों से कहना चाहती हूं कि वे ‘चौपाल’ में आकर देखें। किस तरह जरूरत मंद लोग छोटा सा ऋण लेकर अपना काम शुरू करते हैं। जिसके बाद वे भी स्वाभिमान और इज्जत के साथ समाज में अपना जीवन बसर करते हैं। उन्होंने कहा कि सभी लोगों को सरकारी नौकरियां नहीं मिल सकती हैं। प्रधानमंत्री जी के कहने का भी तात्पर्य यही था कि लोग स्वाभिमान और इज्जत के साथ अपना रोजगार करें।

‘चौपाल’ का दूसरा नाम ईमानदारी
किरण चोपड़ा ने कहा कि ‘चौपाल’ का दूसरा नाम ईमानदारी है। हम देखते हैं बड़े-बड़े लोग रुपयों का घोटाला कर भाग जाते हैं। इसके विपरीत हमारी जरूरतमंद महिलाओं ने साबित कर दिया है कि वह कर्मठ और ईमानदार हैं। कोई उनकी मदद करे तो एक दिन वे भी बड़ी बिजनेसमैन वुमेन बन सकती हैं। ‘चौपाल’ से ही हमारे सामने ऐसे कई उदाहरण सामने भी आए हैं। महिलाओं ने आर्थिक मदद के बाद अपना काम शुरू किया। मगर आज वे दूसरी महिलाओं की मदद कर रही हैं। उन्होंने कहा कि मैं बहुत सौभाग्यशाली हूं, जो मुझे चौपाल से जुड़कर काम करने का मौका मिला।

चौपाल में शामिल होने में स्वर्गीय केदारनाथ सहानी जी का बहुत बड़ा हाथ है। उन्होंने ही मेरे अंदर जरूरतमंद महिलाओं के लिए काम करने का जुनून भरा। उन्होंने महिलाओं को ई-रिक्शा की चाभी देते हुए कहा कि मुझे उस वक्त और खुशी होगी, जब पुरुष पीछे बैठे होंगे और महिलाएं आगे बैठकर ई-रिक्शा चलाएंगी। उन्होंने कहा कि देश तभी तरक्की कर सकता, जब देश की हर महिला आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से सशक्त होगी और चौपाल इसी दिशा में काम कर रहा है।

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