नई दिल्ली : दो करोड़ नौकरियां दिलवाने के वादे को पूरा करने में विफल रहने के लिए कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार को आड़े हाथ लेते हुए प्रधानमंत्री से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के उस दावे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा जिसमें उन्होंने कहा था कि ऐसा कोई चुनावी वादा नहीं किया गया था। कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने अमेरिकी सरकार द्वारा एच 1 बी वीजा नियमों में बदलाव को लेकर आज संवाददाताओं के समक्ष आशंकाएं व्यक्त की।
उन्होंने मोदी से कहा कि वह इस माह के अंत में होने वाली अमेरिका यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समक्ष इस मुद्दे को उठाये और उनसे इस निर्णय को बदलवाने का आश्वासन लेकर आए। शर्मा ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में बेरोजगारी और स्थिति की गंभीरता को देखते हुए रोजगार की स्थिति पर चर्चा करने के लिए नीति आयोग की बैठक बुलाई है। उन्होंने कहा, कुछ समय पहले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि सबको रोजगार देने का वादा नहीं किया गया था। सवा सौ करोड़ की आबादी वाले देश में सबको रोजगार देना संभव नहीं है। हमने ऐसे अवसर पैदा करने की बात कही थी जिसमें युवाओं को रोजगार मिल सके।
शर्मा ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी को देश के युवाओं को यह बताना चाहिए कि अमित शाह सही कह रहे है कि नहीं। उन्हें बताना चाहिए कि उन्होंने चुनाव से पहले हर साल दो करोड़ रोजगार देने की बात कही थी या नहीं। अब तीन साल बाद उन्हें इस बात का जवाब देने का समय आ गया है। कांग्रेस नेता ने आनंद शर्मा ने कहा कि वास्तविकता यह है कि पिछले तीन साल में देश में उद्योग, निवेश और रोजगार कम हुआ है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार कपड़ा, चमड़ा सहित उद्योग के छह प्रमुख क्षेत्रों में एक साल में महज 1.35 लाख रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार विकास के जो आंकड़े दे रही है, भले ही वह जीडीपी के हो या रोजगार के, सभी मिथ्या आंकड़े हैं।
उन्होंने कहा, अब समय आ गया है कि मोदी सरकार को सच-सच बताना चाहिए। प्रधानमंत्री ने जो वादे जनता से किए थे उन्हें पूरा नहीं करने के लिए उन्हें देश से माफी मांगना चाहिए किन्तु राजहट के चलते वह ऐसा नहीं करेंगे। कांग्रेस नेता ने कहा कि मोदी अमेरिका जाने वाले है। उन्हें वहां जाकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समक्ष एच1बी वीजा में कटौती की बात को उठाना चाहिए जिससे 35 प्रतिशत भारतीयों के वीजा में कमी आई है। इस मामले में उन्हें अमेरिकी सरकार से निर्णय बदलवाने का आश्वासन लाना चाहिए। साथ उन्हें ट्रंप के उस बयान पर आप्ति जतानी चाहिए जिसमें उन्होंने पेरिस जलवायु मंडल के बाद भारत जैसे देशों पर लाखों डालर खर्च करने का आरोप लगाया
था।