नई दिल्ली : वर्तमान शिक्षा प्रणाली हमें भौतिकवादी समाज की तरफ ले जाती है, प्राचीन भारत की जो शिक्षा थी उसमें भावनाओं का समावेश होता था। यह कहना है तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा का। सोमवार को लामा लाल बहादुर शास्त्री इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट द्वारा आयोजित 22वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमें एक ऐसी शिक्षा प्रणाली विकसित करनी चाहिए जिसमें भावनाएं, प्यार और दूसरों को क्षमा करने की बातें शामिल हों। आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ मानवीय मूल्यों को साथ लेकर चलना जरूरी है। लामा ने कहा कि दुनिया में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जो मार्डन तकनीक के साथ प्राचीन मान्यताओं को जोड़कर काम कर सकता है। इसलिए भारत एक महान देश है। इस दौरान डिप्लोमा के साथ ललिता शास्त्री पुरस्कार और अमित चोपड़ा अवाॅर्ड भी चयनित छात्रों को दिए गए।
समारोह में 173 छात्रों को प्रबंधन में दो साल पूर्णकालिक स्नातकोत्तर डिप्लोमा (पीजीडीएम जनरल), 60 छात्रों को प्रबंधन में दो साल पूर्णकालिक स्नातकोत्तर डिप्लोमा, आठ छात्रों को प्रबंधन में दो साल पूर्णकालिक स्नातकोत्तर डिप्लोमा और सात छात्रों को प्रबंधन में स्नातकोत्तर एग्जीक्यूटिव डिप्लोमा से सम्मानित किया गया। इनमें अभिषेक चढ्ढा को पीजीडीएम (वित्त) और प्रशांत राणा को पीजीडीएम (जनरल) में गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। अशिता कुकरेजा को पीजीडीएम (एग्जीक्यूटिव) में और दिलप्रीत सिंह को पीजीडीएम में गोल्ड मेडल दिया गया। लाल बहादुर शास्त्री इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के चेयरमैन और पूर्व वित मंत्री अनिल शास्त्री ने दलाई लामा का विशेष धन्यवाद किया।
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