आज आप पार्टी के 20 पूर्व विधायकों की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। हालांकि, कोर्ट के आदेश पर अयोग्यता के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे विधायकों की याचिका पर चुनाव आयोग ने अपना हलफनामा दाखिल कर दिया है। आयोग ने जवाब दाखिल करते हुए अपने हलफनामे में कहा है कि आप पार्टी के विधायकों की याचिका सुनवाई योग्य ही नहीं है। इतना ही नहीं, चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि आप विधायकों की याचिका जु्र्माने के साथ खारिज कर दी जाए। वहीं, हाईकोर्ट पहले ही कह चुका है कि फिलहाल अंतरिम आदेश लागू रहेगा जिसमें चुनाव आयोग को उपचुनाव के लिए कदम न उठाने को कहा गया है।
पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से उसका पक्ष मांगा था। इसके साथ ही चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि जब तक इस मामले की सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित है तब तक दिल्ली में 20 विधानसभा सीटों पर उपचुनावों की तारीख का ऐलान ना किया जाए। सुनवाई सुबह 11.30 से दोपहर 12 बजे के बीच हो सकती है। दिल्ली में सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 36 होना चाहिए लेकिन वर्तमान में आप पार्टी के 66 विधायक हैं। ऐसे में अगर 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी गई तो भी दिल्ली सरकार के पास बहुमत के आंकड़े से 10 सीट ज्यादा होंगी। हालांकि इन 20 सीटों पर चुनाव आयोग दोबारा चुनाव कराएगा।
20 लोगों की सदस्यता रद्द होने के बाद विधानसभा की संख्या 50 रह जाएगी। यानि विश्वास मत का फैसला इस नंबर के आधार पर होगा। हाउस की जितनी संख्या होती है विश्वास मत उसी के आधार पर तय होता है। कानून के मुताबिक, दिल्ली में कोई भी विधायक रहते हुए लाभ का पद नहीं ले सकता है। आरोप है कि इसके बाद भी केजरीवाल की पार्टी के 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाकर उन्हें लाभ का पद दिया। गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ देल्ही एक्ट, 1991 के तहत दिल्ली में सिर्फ एक संसदीय सचिव का पद हो सकता है। यह संसदीय सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़ा होगा, लेकिन केजरीवाल ने सीधे 21 विधायकों को ये पद दे दिया। अब इन विधायकों की संख्या 20 रह गई है। इनमें से जरनैल सिंह ने पंजाब विधानसभा में चुनाव लड़ने के लिए दिल्ली विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था।
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