नई दिल्ली : जीवन का प्रतीक और मौत के देव यमराज की बहन यमुना बीते कुछ वर्षों में राजधानी में मृतप्राय हो चुकी है। हालांकि सरकार और कुछ निजी संस्थाओं ने इसमें जीवन फूंकने के प्रयास भी किए, लेकिन यह ऊंट के मुंह मे जीरे के समान ही साबित हुई। इसे देखते हुए अब यह काम धरती के देवताओं (डॉक्टरों) ने अपने हाथ में ले लिया है। शनिवार को एम्स, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, लोकनायक अस्पताल, यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साईसेज (यूसीएमएस), वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने लोक नायक सेतू के पास इक्ट्ठा हुए और सफाई की।
यमुना सफाई अभियान के चेयरमैन एवं एम्स में रिसर्च साईंटिस्ट डॉ. विवेक दीक्षित ने बताया कि शनिवार को यमुना किनारे से कूड़े के ढेर, पानी के अंदर पड़ीं मूर्तियां, फल, फूल व खरपतवार को बाहर निकाला। इसके लिए सफाई मशीन और गोता-खोरों की भी मदद ली गई। इस दौरान करीब 50 किलो से भी ज्यादा गीला कचरा निकाला गया। उनका कहना है कि यमुना की पवित्रता बनाए रखने के लिए इसे धर्म और आस्था के नाम पर गंदा होने से रोकने की जरूरत है। इसी को देखते हुए वह यह अभियान चला रहे हैं। मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में स्कॉलर मेडिसिन विभाग के डॉ. विनय कुमार ने कहा कि यह अभियान वर्ष 2013 से चलाया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि हर शनिवार जब ओपीडी का समय आधे दिन का होता है तो वह यमुना सफाई अभियान के लिए निकल जाते हैं। अब तक वह कई ट्रक कूड़ा निकाल चुके हैं। डॉ. विवेक दीक्षित बताते हैं कि पहले इस अभियान में दस से बीस लोग ही होते थे। लेकिन आज यह ग्रुप काफी बड़ा हो गया है। जिसकी वजह से अब इनका काम और आसान हो गया है। अब ये लोगों यमुना सफाई के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से भी लोगों को जागरूक और अभियान के साथ जोड़ने का काम कर रहे हैं।
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