नई दिल्ली : राजधानी में चल रही सीलिंग को लेकर हंगामा जारी है। दिल्ली में फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) भी सीलिंग की एक प्रमुख वजहों में से एक है। इसलिए एफएआर के बारे में जानना जरूरी है। किसी प्लॉट पर निर्माण के लिए कितना एरिया मिल सकता है। उसका एक रेशियो होता है। उसी रेशियो में ही प्लॉट पर निर्माण गतिविधियों को अंजाम दिया जा सकता। इससे ही यह तय होता है कि इस प्लॉट पर कितने फ्लैट बन सकते हैं। एक उदाहरण के तौर पर 1 हजार वर्गमीटर के प्लॉट पर 100 एफएआर है तो इस प्लॉट में एक हजार वर्गमीटर कवर्ड एरिया मिलेेगा। वहीं ग्राउंड कवरेज 25 प्रतिशत मिलेगी।
इसमें 250 वर्गमीटर के चार फ्लोर बन सकते हैं। ऐसे ही 2 हजार वर्ग मीटर के प्लॉट पर यदि एफएआर 200 है तो इसमें दो हजार वर्गमीटर कवर्ड एरिया मिलेगा और इसमें आठ फ्लोर बन सकते हैं। लेकिन प्लॉट के कुल हिस्से के 25 प्रतिशत भाग पर ही ग्राउंड कवरेज हो सकती है। अब यदि दिल्ली के व्यापारियों और दुकानदारों की मांग के अनुसार एफएआर बढ़ाने की बात करें तो 180 से 350 एफएआर किए जाने से उदाहरण के तौर पर 200 वर्गमीटर के प्लॉट पर 75 प्रतिशत ग्राउंड कवरेज मिलेगी।
इस प्रकार चार फ्लोर पर 75 प्रतिशत ग्राउंड कवरेज के साथ 350 एफएआर पूरा हो जाएगा। इसमें एक बात खास यह है कि मास्टर प्लान 2021 के तहत दिल्ली में इलाकों की श्रेणी के अनुसार ग्राउंड कवरेज तय किया गया है। 80 फुट की सड़कों पर अलग एफएआर तथा 60 फुट की सड़कों पर अलग एफएआर है।
– अमित कुुमार