हरियाणा को देश में नंबर वन राज्य बनाने से लेकर हरियाणा के खिलाडिय़ों को विश्व में पहचान दिलवाने वाले हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा आज हरियाणा समेत देशभर के किसानों की हालत को देखकर दु:खी हैं। मुनाफा मिलना तो दूर किसान अपनी फसल की लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं, इसे लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा 8 जुलाई को जींद में किसानों की महापंचायत करने जा रहे हैं। जिसमें न सिर्फ किसानों की बल्कि व्यापारियों की बात भी उठाई जाएगी। हुड्डा का कहना है कि अगर आज हरियाणा में चुनाव हो जाए तो जनता के पास सिर्फ कांग्रेस ही विकल्प है, इनेलो अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है और भाजपा ने किसानों का बुरा हाल कर दिया है। चंडीगढ़ में उनके निवास पर जीएसटी, हरियाणा में किसानों की स्थिति, खट्टर सरकार की नाकामियों से लेकर मुख्यमंत्री के अपने कार्यकाल की उपलब्धियों के बारे में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पंजाब केसरी के सतेन्द्र त्रिपाठी और सज्जन चौधरी के साथ खरी-खरी…
क्यों नहीं लागू हुई स्वामीनाथन रिपोर्ट…
आज किसान बिल्कुल बर्बादी के कगार पर खड़ा है। सवाल सिर्फ मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र या हरियाणा के किसान का नहीं है, पूरे देश में किसानों का भविष्य अंधकार में है। जब से मोदी सरकार आई है किसानों को फसल का उचित भाव नहीं मिल रहा है, लागत बढ़ रही है और उसी हिसाब से कर्जे बढ़ रहे हैं। हरियाणा में सत्ता में आने से पहले भाजपा सरकार ने दावा किया था कि हम स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू करेंगे मतलब एक फसल पर किसान की जितनी लागत आती है उस पर 50 प्रतिशत मुनाफा सरकार को किसानों को देना था। किसान की आमदनी तभी हो सकती है जब उसे फसल की लागत का 50 प्रतिशत मुनाफा मिले, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। कांग्रेस सरकार के समय में हरियाणा में किसानों को धान (चावल) का भाव 6500 रुपए/क्विंटल के हिसाब से मिलता था, लेकिन आज 2500 रुपए के हिसाब से किसाना अपनी धान की फसल बेचने को मजबूर हैं। कपास की फसल हमारी सरकार के मुकाबले यह सरकार आधे रेट में ले रही है। इसी प्रकार आलू की फसल किसान 9 पैसे/किलो बेचा जा रहा है। टमाटर पशुओं को खिलाना पड़ रहा है। इसी प्रकार पॉपुलर की लकड़ी की कीमतों में भयंकर गिरावट देखी गई है। लेकिन विडंबना यह है कि किसान की धान की फसल तो पिट गई, लेकिन चावल के दाम सस्ते नहीं हुए। आलू की फसल पिट गई लेकिन चिप्स के रेट ज्यों के त्यों रहे। कपास के दाम न के बराबर हैं, लेकिन कपड़ा लोगों को महंगा ही मिल रहा है। टमाटर तो जानवर खा रहे हैं, लेकिन टोमैटो सॉस की कीमत कम नहीं हुई, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव 140 डॉलर प्रति बैरल से 40 डॉलर प्रति बैरल आ गया, लेकिन किसान को डीजल आज भी महंगे दामों पर ही मिल रहा है, क्योंकि यूपीए सरकार के समय डीजल पर जो सैस लगता था वह लगभग डेढ़ रुपया प्रति लीटर था, जबकि आज वही सैस लगभग पौन आठ रुपए प्रति लीटर के हिसाब से लगाया जा रहा है, जिससे किसानों को डीजल महंगा मिल रहा है।
जीएसटी का सरलीकरण होना चाहिए…
हरियाणा सरकार ने वैट बढ़ा दिया है। कांग्रेस सरकार के समय हरियाणा में लगभग सवा आठ प्रतिशत वैट लगता था, लेकिन इस सरकार ने वैट की दरें बढ़ाकर 17 प्रतिशत कर दी हैं। हजारों करोड़ रुपए सरकार के खजाने में आए लेकिन आम इंसान और किसान को इसका कोई लाभ नहीं मिला। अब 1 तारीख से जीएसटी लागू किया जा रहा है। इस जीएसटी का खाका यूपीए सरकार ने तैयार किया था, कई लोगों ने इसका विरोध भी किया था, लेकिन यूपीए के जीएसटी और एनडीए के जीएसटी में बहुत फर्क है। इस प्रारुप में किसानों और व्यापारियों को बहुत परेशानियां झेलनी पड़ेंगी। एक साल में 37 बार व्यापारियों को टैक्स रिटर्न भरनी पड़ेगी। जिससे इंस्पेक्टर राज कायम हो जाएगा। टै्रक्टर के पार्ट्स पर 28 प्रतिशत टैक्स लग गया है। जीएसटी लागू जरूर हो लेकिन व्यापारी फ्रेंडली बनाया जाए। इसका सरलीकरण किए बिना इसे लागू कर दिया गया तो बड़ी परेशानियां होंगी।
बिजली के बिना ठप हो गए ट्यूबवैल…
बिजली के चार प्लांट कांग्रेस सरकार ने लगाए थे। जिससे हरियाणा में बिजली की कमी नहीं रही थी, हर किसान को रोजाना कम से कम आठ घंटे ट्यूबवैल के लिए बिजली मिलती थी, लेकिन आज बिजली के लिए हायतौबा मची हुई है। हरियाणा में कांगे्रस की सरकार आने से पहले हर चुनाव में बिजली एक मुद्दा होता था, लेकिन हमारी सरकार ने बिजली का मुद्दा ही खत्म कर दिया। 2009 और 2014 दोनों बार बिजली का मुद्दा नहीं था। हमने किसानों का 1600 करोड़ रुपए का किसानों का बिजली का बिल माफ कर दिया था। बिजली की दरें हमने कम कर दी हैं। हरियाणा की भाजपा सरकार ने अपने हिस्से की बिजली सरेंडर कर दी है। यमुनानगर, पानीपत समेत कई बड़े प्लांट पूर्ण रूप से काम नहीं कर रहे हैं। इस सरकार ने एक यूनिट भी बिजली पैदा नहीं की है। एक बार फिर किसान अपनी फसल के लिए बारिश पर निर्भर हो गया है, अगर बारिश न हो तो किसान मरने के कगार पर आ जाएगा। जीएसटी में टैक्टर के पार्ट्स पर 28 प्रतिशत टैक्स लगा दिया है। किसान को सहुलियत देने की तरफ कदम नहीं बढ़ रहे हैं। हरियाणा में कांग्रेस सरकार ने किसानों का 830 करोड़ रुपए का ब्याज माफ किया था। आज हरियाणा का किसान एक बार फिर से कर्जे में डूब गया है। किसानों को फलों और सब्जियों की लागत भी नहीं मिल रही है। हां, किसान के हाथ से निकलने के बाद फल और सब्जियां इतनी महंगी हो जाती हैं कि खुद किसान भी इन्हें खरीद नहीं सकता है।
सब्जियों के लिए न्यूनतम कीमत तय हो…
अगर आलू नौ पैसे प्रति किला बिक रहा है जबकि असल लागत 7 प्रति किलो आ रही है। सभी सब्जियों की न्यूनतम कीमत तय होनी चाहिए। इसके लिए हम पूरे प्रदेश के किसानों से संवाद कर रहे हैं। किसानों का भविष्य अंधकार में है। इसके लिए हम किसानों के हित की बात करने वाले सभी संगठनों को एकजुट कर रहे हैं।
भाजपा की गलती से हुए दंगे
पुरानी सरकार ने जनता की हित की बात सोची थी इसलिए कभी हरियाणा में जानमाल का नुकसान नहीं हुआ था। पहली बार हरियाणा में उग्र आंदोलन हुए। सरकार ने इन दंगों की जांच करने के लिए प्रकाश सिंह कमेटी बनाई थी, लेकिन आज तक उस कमेटी की रिपोर्ट को जारी नहीं किया गया है। मीटर घोटाले से लेकर धान की खरीद में सरकार घोटाला कर चुकी है। इसके लिए हम सीबीआई जांच की मांग भी कर चुके हैं। विभागों मे भर्तियों के नाम पर घोटाले हो रहे हैं।
किसानों को दिया था ब्याजमुक्त कर्ज…
हमारी सरकार ने पांच राज्यों के मुख्यमंत्रियों का एक वर्किंग गु्रप बनाया था। इस ग्रुप ने शार्ट टर्म लोन (फसली ऋण), जोकि पहले 11 प्रतिशत था, उसे बाद में 9 प्रतिशत किया, फिर दो प्रतिशत केंद्र सरकार ने माफ किया, उस समय हमारी सरकार ने इसे को-ऑपरेटिव बैंक में चार प्रतिशत किया, लेकिन बाकी बैंक उतना ही चार्ज कर रहे थे, हमारी वर्किंग गु्रप ने सिफारिश की कि देश में कहीं भी कोई भी बैंक समय पर कर्ज वापस करने वाले किसान से चार प्रतिशत से अधिक ब्याज नहीं ले सकता है। हरियाणा में हमने इसे पूरी तरह से खत्म कर दिया। अगर कोई भी किसान समय पर कर्ज चुकाता है तो उस पर कोई ब्याज नहीं लगेगा। लागत प्लस 50 प्रतिशत करने की हमारी योजना थी, लेकिन हमारी सरकार जाने के कारण हम उसे नहीं कर पाए और भाजपा ने इसे करने का वादा किया था, लेकिन आज तक इसे नहीं कर पाए हैं। यह सरकार सिर्फ जुमलाबाजी करने में विश्वास रखती है। मैं, सरकार से यही कहना चाहता हूं कि अगर स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करने में कोई परेशानी है तो जो वर्किंग कोर ग्रुप ने सिफारिशें की थी, उन्हें ही पूरा कर दें, वह तो पांच राज्यों के मुख्यमंत्रियों की सिफारिशें थी।
जींद में होगी किसानों की महापंचायत…
शाहबाद मंडी में गया था, वहां सूरजमुखी का फूल आया हुआ था, जिसका एमएसपी 3950 रुपए है लेकिन सरकार ने नहीं खरीदा। सरकार ने यह मानक तय कर दिया है कि सरकार एक एकड़ में से ढाई क्विंटल से अधिक फूल नहीं खरीदेगी, लेकिन एक एकड़ में लगभग 10 क्विंटल फूल होता है, तो ऐसे में बाकी फूल का किसान क्या करेगा। यह सरकार पूर्णत: किसानविरोधी साबित हो रही है। अब हम 8 जुलाई को जींद में महापंचायत करने जा रहे हैं, जिसमें न सिर्फ किसानों की बल्कि व्यापारियों की बात भी उठाई जाएगी। गरीब, मजदूर और किसान परेशान हैं इन सभी के साथ कांग्रेस पार्टी हमेशा खड़ी है।
रुक गई विकास की रेल…
कांग्रेस सरकार के समय हरियाणा देश का नंबर वन राज्य था। प्रति व्यक्ति आय से लेकर प्रति व्यक्ति निवेश तक हरियाणा देश का सबसे बेहतर राज्य था, लेकिन आज हरियाणा की शान कहलाने वाले खिलाडिय़ों को भी ईनाम का पैसा तक नहीं मिल रहा है। यह सरकार अभी तक एक भी नया प्रोजैक्ट लेकर नहीं आई हैं। इन्हें सिर्फ भाषण देना आता है। इनका भाषण ही इनका शासन है, इससे अलग कुछ नहीं है।
भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की नजर से…
- सोनिया गांधी… देश के लिए त्याग किया
- मनोहर लाल खट्टर… सीखने की कोशिश करें..
- नरेंद्र मोदी… जनता से किए वादे पूरे करें…
- अनिल विज… राजनीतिक सोच बिल्कुल शून्य