नई दिल्ली : अब सामान्य उपभोक्ता भी बीएसईएस को बिजली की आपूर्ति कर पैसे कमा रहे हैं। सुनने में यह थोड़ा अटपटा लग सकता है लेकिन है पूरा सच। दरअसल, उपभोक्ताओं की छतों पर लगे सोलर पैनलों को सीधे ग्रिड से जोड़ा जा रहा है। अब सोलर पैनलों से मिलने वाली बिजली, बीएसईएस के ग्रिडों के माध्यम से आम लोगों को सप्लाई की जा सकेगी। उपभोक्ता के सोलर पैनलों से जितनी बिजली बीएसईएस के ग्रिडों में आएगी, उसके लिए बीएसईएस उपभोक्ता को डीईआरसी द्वारा अप्रूव्ड दरों पर भुगतान करेगी। बीएसईएस इलाके में करीब ४५ मेगावाॅट सौर ऊर्जा का उत्पादन शुरू हो गया है।
उपभोक्ताओं ने अपनी छतों पर सोलर पैनल लगवाकर इतनी बिजली का उत्पादन शुरू किया है। सौर ऊर्जा का उत्पादन शुरू करने वाले उपभोक्ताओं में ज्यादातर घरेलू उपभोक्ता और नामी स्कूल व शैक्षिक संस्थान हैं। सोलर पैनलों के ग्रिड से जुड़ने के कारण उपभोक्ताओं को सौर उर्जा की बिजली को स्टोर करने के लिए बड़ी-बड़ी बैटरियां रखने का भी झंझट नहीं है। क्योंकि, उनके पैनलों द्वारा उत्पादित बिजली, उनके इस्तेमाल के बाद सीधे बीएसईएस के ग्रिड में चली जाएगी। सोलर पैनलों द्वारा जितनी बिजली का उत्पादन होगा, उस बिजली पर पहले उन उपभोक्ताओं का अधिकार होगा, जिन्होंने अपने घरों की छतों पर ये पैनल लगाए हैं।
इन उपभोक्ताओं के व्यक्तिगत इस्तेमाल के बाद बची हुई बिजली सीधे बीएसईएस के ग्रिडों में जाएगी और उसे अन्य उपभोक्ताओं को सप्लाई किया जाएगा। यह, दरअसल, डीईआरसी के रूफ टाॅप सोलर नेट मीटरिंग पाॅलिसी का हिस्सा है। अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए डीईआरसी ने यह पाॅलिसी जारी की थी। उसके बाद से, बीएसईएस डिस्काॅम लगातार सौर ऊर्जा को बड़े पैमाने पर उपभोक्ताओं के बीच प्रचारित कर रही हैं, और उन्हें इसके फायदों के बारे में जागरुक कर रही है। इन प्रयासों के परिणाम अब दिखने शुरू हुए हैं। बीएसईएस के सैकड़ों घरेलू और व्यावसायिक उपभोक्ताओं ने नेट मीटरिंग प्रोजेक्ट में दिलचस्पी दिखाई है। सोलर पैनलों के माध्यम से कई मेगावाॅट बिजली का उत्पादन शुरू हो चुका है।
अधिक जानकारियों के लिए बने रहिये पंजाब केसरी के साथ।
– अमित कुमार