केन्द्र सरकार ने SC/ST एक्ट फैसले के रिव्यू में लिखित दलीलें दाखिल कर कहा कि कोर्ट के फैसले से कानून कमज़ोर हुआ। सरकार ने कहा है कि इस फैसले से देश को काफी नुकसान हुआ है। गुरुवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आदेश वापस लेने की अपील करते हुए कहा कि ‘सुप्रीम कोर्ट का आदेश कानून का उल्लंघन है, इसलिए इसे वापस लेने की आवश्यकता है।’ देश हित का हवाला देते हुए केंद्र सरकार ने कहा है कि ‘प्रावधान में बदलाव के कारण देश को नुकसान हुआ है और भविष्य में भी नुकसान हो सकता है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार द्वारा दायर की गई पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की दलीलों को सुनते सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था, ‘हम SC/ST एक्ट के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन किसी बेकसूर को सजा नहीं मिलनी चाहिए।’ सुनवाई में अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि फैसले से SC/ST कानून कमजोर हुआ है।
इस वर्ग के लोग सैकड़ों वर्षों से सताए हुए हैं। कोर्ट के आदेश में तत्काल एफआईआर पर रोक लगाई गई है, ऐसे मे पुलिस मामले टालने लगेगी। केस दर्ज ही नहीं होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST एक्ट में तत्काल एफआईआर और गिरफ्तारी की मनाही करने वाले अपने फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने फैसले के खिलाफ केन्द्र सरकार की पुनर्विचार याचिका विचारार्थ लंबित रख ली, लेकिन 20 मार्च के फैसले पर अंतरिम रोक की मांग खारिज कर दी।
कोर्ट ने फैसले से SC/ST कानून कमजोर होने की दलीलें ठुकराते हुए कहा कि इससे कानून कमजोर नहीं हुआ है, बल्कि बेगुनाहों को संरक्षित किया गया है। कोर्ट की सोच है कि लोग इस कानून से आतंकित न हों और निर्दोष सलाखों के पीछे न जाएं। कोर्ट कानून के खिलाफ नहीं है, बल्कि बेगुनाहों को गिरफ्तारी से बचाने के लिए फैसले में संतुलन कायम किया गया है।
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