पश्चिमी दिल्ली: अवैध बोरवेल मामले में दिल्ली सरकार सोमवार को रिपोर्ट पेश कर सकती है। बाहरी दिल्ली के नरेला और बवाना में अवैध बोरवेल को लेकर एनजीटी ने दिल्ली सरकार को विस्तृत रिपोर्ट करने के लिए एक माह का समय दिया था। हालांकि सरकार की ओर से रिपोर्ट पेश करने के लिए दो माह के समय की मांग की गई थी। लेकिन एनजीटी ने एक माह का ही समय दिया था। इससे पहले हुई सुनवाई के दौरान एनजीटी ने दिल्ली सरकार के प्रमुख सचिव और दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ को इस मुद्दे पर एक मीटिंग बुलाने का निर्देश जारी किया था। बेंच ने मीटिंग कर बोरवेल से भूजल दोहन के मुद्दे पर अपना निष्कर्ष बेंच को बताने का निर्देश दिया था। साथ ही यह जानकारी भी मांगी थी कि इस मुद्दे पर इसका क्या विकल्प हो सकता है।
राजधानी में गिरते भूजल स्तर की गंभीरता के मद्देनजर इस मीटिंग के मिनट्स को एक सप्ताह के भीतर एनजीटी में सौंपने का भी निर्देश बेंच ने दिया था। बता दें कि एनजीटी बार एसोसिएशन और राजहंस बंसल की ओर से इस संबंध में एक याचिका दाखिल की गई थी। इस याचिका में देश की राजधानी में ग्राउंड वॉटर के अवैध इस्तेमाल का आरोप लगाया गया था। साल 2014 के दौरान एनजीटी ने दिल्ली जल बोर्ड, सेंट्रल ग्राउंड वॉटर अथॉरिटी, दिल्ली सरकार के अधिकारियों का पैनल बनाया था। इस पैनल को इंडस्ट्रयिल एरिया में चल रहे अवैध बोरवेल को सील करने व इससे संंबंधित रिपोर्ट मांगी थी।
सरकार और दिल्ली जल बोर्ड को निर्देश दिया था कि नरेला और बवाना इंडस्ट्रियल एरिया में प्रशासन के तहत रजिस्टर्ड बोरवेल की कुल संख्या बताएं। एनजीटी ने यह भी कहा था कि 2014 के निर्देशों के बाद भी दिल्ली सरकार किसी प्रकार का कोई एक्शन प्लान सौंपने में नाकाम रही है। पिछली सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि निर्देश को आज तीन साल बीत चुके हैं। आपने अभी तक कोई प्लान तैयार नहीं किया किस तरह से इन इंडस्ट्रियल यूनिट्स को पानी की सुविधा मुहैया कराई जाए। आप एनजीटी के फैसले का दुरुपयोग नहीं कर सकते।
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