नई दिल्ली : दक्षिण-पूर्वी जिले में स्थित वरिष्ठ माध्यमिक कन्या विद्यालय तुगलकाबाद विस्तार नंबर में दो एक गेस्ट शिक्षक द्वारा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने का मामला प्रकाश में आया है। हैरानी की बात यह है कि इसका पर्दाफाश होने के बावजूद भी स्कूल प्रशासन द्वारा एफआईआर दर्ज कराना मुनासिब नहीं समझा गया। इस घटना से शिक्षा विभाग में कार्यरत गेस्ट शिक्षकों के सर्टिफिकेट सत्यापन किए जाने की प्रणाली पर सवालिया निशान लग गया है। जानकारी के मुताबिक संबंधित स्कूल (कोड-1925250) में लेक्चरर राजनीतिक विज्ञान विषय की पीजीटी पोस्ट पर महिला शिक्षक ने 25 जुलाई, 2013 को ज्वाइन किया। इसके बाद महिला शिक्षक ने वर्ष 2017 तक स्कूल में नौकरी की।
इस बीच महिला शिक्षक कई-कई दिन अनुपस्थित भी रही, लेकिन गेस्ट शिक्षक के रूप में उनका पढ़ाना जारी रहा। इस दौरान गत दिसंबर माह में मालूम हुआ कि महिला शिक्षक ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाई है। इसके बाद आनन-फानन में महिला शिक्षक को रिलीव कर दिया गया। पंजाब केसरी को मिले दस्तावेजों में महिला शिक्षक को एक दिसम्बर, 2017 से कार्य मुक्त मान लिया गया। महिला शिक्षक की वर्ष 2017 के हाजिरी रजिस्टर के अनुसार जुलाई माह में 21 दिन, अगस्त माह में 22 दिन, सितंबर माह में सात दिन, अक्तूबर में शून्य, नंवबर में तीन दिन और दिसंबर में शून्य उपस्थिति रही है। इसके बदले में महिला शिक्षक ने शिक्षा विभाग से वेतन भी लिया।
उधर स्कूल सूत्रों की माने तो अभी तक संबंधित मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं करवाई गई। सवाल यह उठता है कि जब महिला शिक्षक ने नौकरी के बदले शिक्षा विभाग से वेतन प्राप्त किया तो कम से कम उसकी रिकवरी तो बनती थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। साथ महिला शिक्षक के सर्टिफिकेट करने वालों पर प्रश्न चिह्न लग गया है कि आखिर यह फर्जीवाड़ा ज्वानिंग के समय क्यों नहीं पकड़ा गया। हाल ही में तुगलकाबाद एक्सटेंशन निवासी स्कूल प्रधानाचार्या व अन्य अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, शिक्षा निदेशक, विजिलेंस शाखा और सचिवालय के ऑडिट विभाग को पत्र लिखकर कार्रवाई किए जाने की मांग की है। उनकी मांग है कि आरोपी शिक्षक और उसके साथ मिलीभगत करने वालों के विरुद्ध साजिश रचने और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया जाए।
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– राहुल शर्मा