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जस्टिस कर्णन की अंतरिम जमानत का आग्रह ठुकराया

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नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने आज कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति सी.एस. कर्णन के उस आग्रह पर विचार करने से इंकार कर दिया जिसमें उन्होंने अंतरिम जमानत दिए जाने तथा अदालत की अवमानना की वजह से स्वयं को सुनाई गई छह माह की सजा पर रोक लगाने की मांग की थी। न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एस.के. कौल की अवकाश पीठ ने कहा कि इस मामले में सात न्यायाधीशों की पीठ का आदेश मानना न्यायालय का दायित्व है और कर्णन को प्रधान न्यायाधीश की पीठ के समक्ष यह मामला बताना चाहिए।

एक माह से अधिक समय तक गायब रहे कर्णन को कल गिरफ्तार किया गया। पीठ ने कहा कि सात न्यायाधीशों की पीठ पहले ही आदेश पारित कर चुकी है और केवल विशेष पीठ ही अपील सुन सकती है। कर्णन की ओर से पेश अधिवक्ता मैथ्यू जे. नेदुम्पारा ने कहा कि अदालत के पास सभी अधिकार हैं और उसे तब तक के लिए कर्णन को अंतरिम जमानत देनी चाहिए जब तक अदालत फिर से नहीं खुल जाती। इस पर अवकाश पीठ ने कहा कि वह सात न्यायाधीशों की पीठ के आदेश में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।

62 वर्षीय कर्णन को बीती रात पश्चिम बंगाल सीआईडी ने तमिलनाडु के कोयंबटूर से गिरफ्तार कर लिया। कर्णन को अदालत की अवमानना के लिए उच्चतम न्यायालय ने छह माह की सजा सुनाई थी जिसके बाद वह एक माह से भी अधिक समय तक गायब रहे।

पूर्व न्यायाधीश को कोलकाता ले जाया गया : पूर्व न्यायाधीश सी.एस. कर्णन को पश्चिम बंगाल पुलिस की टीम आज कोलकाता लेकर गई। पूर्व न्यायाधीश को उच्चतम न्यायालय ने अदालत की अवमानना के मामले में सजा सुनाई थी जिसके एक महीने से अधिक समय बाद उन्हें कोयंबटूर से गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने बताया कि पश्चिम बंगाल पुलिस की छह सदस्यों की टीम पूर्वाह्नï करीब 11 बजकर 50 मिनट पर उन्हें एयर इंडिया के विमान से लेकर गई। इससे पहले, कर्णन को कल रात कोयंबटूर में गिरफ्तार किया गया।

उन्हें कल आधी रात को एक निजी विमानन कंपनी के विमान से यहां लाया गया और बाद में उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच हवाईअड्डा परिसर में विश्राम गृह में रखा गया। कर्णन उच्चतम न्यायालय के नौ मई के आदेश के बाद से फरार थे। उन्हें कोयंबटूर से करीब छह किलोमीटर दूर मालुमीचमपट्टी के एक निजी रिसॉर्ट से कल रात गिरफ्तार किया था। वह पिछले कुछ दिनों से कोयंबटूर में ठहरे हुए थे।

एक स्थानीय वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया था कि कोलकाता पुलिस की तीन टीमें कोयम्बटूर में डेरा डाले हुई थीं और उनके मोबाइल फोन कॉल के आधार पर उनका पता लगा लिया। उनके ठिकाने का पता लगाने में तमिलनाडु की पुलिस ने तकनीकी तौर पर सहयोग दिया।

कर्णन ऐसे पहले व्यक्ति हैं जिन्हें उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पद पर बने रहने के दौरान उच्चतम न्यायालय ने कारावास की सजा सुनाई है। वह 12 जून को भगोड़े के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे।

प्रधान न्यायाधीश जे.एस. खेहर की अध्यक्षता वाली न्यायालय की सात सदस्यीय पीठ ने कर्णन को नौ मई को अदालत की अवमानना के आरोप में छह महीने जेल की सजा सुनाई थी। सजा सुनाए जाने के तीन दिन बाद कर्णन ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

कर्णन वर्ष 1983 में बार कौंसिल ऑफ तमिलनाडु में एक वकील के तौर पर पंजीकृत हुए थे। उन्हें वर्ष 2009 में मद्रास उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। उन्हें 11 मार्च, 2016 को कलकत्ता उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया गया था।

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