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‘आप’ के समर्थन में उतरे काटजू और सिन्हा, ट्वीट कर राष्ट्रपति के फैसले को बताया ‘तुगलकशाही’

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दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने का मामला तूल पकड़ रहा है। रविवार को बीजेपी वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा ‘आप’ के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने की निर्वाचन आयोग की सिफारिश को मंजूरी देने को ‘तुगलकशाही’ बता दिया है।

जस्टिस काटजू ने ट्वीट किया है कि आजादी के बाद से अब तक 9500 से अधिक संसदीय सचिव रहे। चुनाव आयोग ने इनमें से 455 को नोटिस जारी किए, वहीं हाई कोर्ट ने ऐसी 100 से ज्यादा नियुक्तियों को खारिज कर दिया। जस्टिस काटजू के मुताबिक, यह पहली बार है कि विधायकों को अयोग्य ठहराया गया हो।

ट्वीट के आखिरी में उन्होंने इस फैसले को ‘विशुद्ध बदला’ करार दिया है। आम आदमी पार्टी के खिलाफ चुनाव आयोग के इस फैसले से खफा बड़ी संख्या में लोग काटजू के ट्वीट को रीट्वीट कर रहे हैं। इसी तरह, वरिष्ठ भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने भी फैसले पर सवाल उठाए हैं। सिन्हा ने ट्वीट किया है कि आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने का राष्ट्रपति का फैसला न्यायीक नहीं है। कोई सुनवाई नहीं हुई, हाई कोर्ट के आदेश का इंतजार भी नहीं किया गया। यह सबसे बड़ी तुगलकशाही है।

कोविंद की मंजूरी के बाद, केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की। इसमें कहा गया कि राष्ट्रपति ने दिल्ली विधानसभा के 20 सदस्यों को दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार अधिनियम (GNCTD) के तहत अयोग्य ठहराया है। निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को ‘आप’ के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने की सिफारिश की थी। इन सभी पर बतौर संसदीय सचिव लाभ के पद पर आसीन होने के आरोप लगाए गए थे।

आयोग ने राष्ट्रपति को अपना सुझाव वकील प्रशांत पटेल की शिकायत पर दिया था। हिंदू लीगल सेल के सदस्य पटेल ने जून 2015 में संसदीय सचिवों की नियुक्ति को अवैध ठहराते हुए तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के समक्ष याचिका दाखिल की थी। पटेल द्वारा दाखिल शिकायत में कहा गया कि जरनैल सिंह समेत ‘आप’ के 21 विधायकों को दिल्ली सरकार में मंत्रियों के लिए संसदीय सचिव नियुक्त करके संविधान का उल्लंघन किया गया था।

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