नई दिल्ली : मालदीव में इमरजेंसी लगने के बाद हालात और बिगड़ते जा रहे हैं। शुक्रवार को मालदीव में रिपोर्टिंग कर रहे भारतीय मूल के दो पत्रकारों को गिरफ्तार कर लिया गया है। दोनों भारतीय पत्रकार न्यूज एजेंसी एएफपी में काम करते हैं। एनएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक अमृतसर के मनी शर्मा और लंदन में रहने वाले भारतीय मूल के पत्रकार आतिश रावजी पटेल को मालदीव में गिरफ्तार कर लिया गया है। दोनों पत्रकारों को मालदीव के राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है।
गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुए मालदीव के सांसद अली जहीर ने कहा कि अब यहां प्रेस की स्वतंत्रता नहीं बची है। पिछली रात एक प्रतिष्ठित टीवी चैनल को भी बंद कर दिया गया। हम तत्काल पत्रकारों की रिहाई, देश में लोकतंत्र और कानून का शासन बहाली करने की मांग करते हैं। भारत के पड़ोसी देश मालदीव में कई दिनों राजनीतिक संकट कायम है। फिलहाल स्थानीय सरकार ने 15 दिन के लिए आपातकाल घोषित कर रखा है। मालदीव में राजनीतिक संकट की शुरुआत वहां के सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद हुआ जिसमें उसने विपक्ष के 9 नेताओं को रिहा करने का आदेश दिया था।
राष्ट्रपति यामीन ने इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया और उन्होंने इस देश में आपातकाल का ऐलान कर दिया। इसके तुरंत बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस अब्दुल्ला सईद और एक अन्य जज अली हमीद को गिरफ्तार भी कर लिया गया। बाद में सरकार के दबाव में आकर सुप्रीम कोर्ट में शेष जजों ने अपना फैसला बदल दिया। भारत और चीन दोनों ही देशों के लिहाज से मालदीव संकट काफी अहम। दोनों देश इस घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए। मालदीव के राजनीतिक हालात पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन पर बातचीत की और हालात पर चिंता जताई। दूसरी ओर, चीन का कहना है कि वह मालदीव में जारी राजनीतिक गतिरोध को सुलझाने के लिए भारत के संपर्क में। चीन के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि हम पहले ही कह चुके हैं कि मालदीव अपने आंतरिक संकट को सुलझाने में खुद सक्षम है और किसी भी बाहरी पक्ष को इसमें दखल नहीं देना चाहिए।
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