नई दिल्ली: बरसात के मौसम में ‘मानसून बड्र्स’ ने दिल्ली में दस्तक दे दी है। इस दौरान ये पक्षी प्रजनन भी करते हैं क्योंकि बरसात के मौसम में तालाबों में उनके लिए पर्याप्त रूप से मछली, मेंढक और केंचुए उपलब्ध रहते हैं। अनुमान के तौर पर मानसून अगले सप्ताह दिल्ली में दस्तक दे देगा, यूं भी जून माह में हुई बरसात पिछले वर्षों के मुकाबले रिकॉर्ड दर्ज करा चुकी है। ऐस में दिल्ली चिड़ियाघर और ओखला पक्षी विहार में ‘मानसून बड्र्स’ ने अपना बसेरा बना लिया है। दिल्ली में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान आदि पड़ोसी राज्यों से पहुंचे पक्षियों में इग्रिट (बगुला) में कैटल इग्रिट और लिटिल इग्रिट, पौंड हीरोन, नाइट हीरोन, व्हाइट आइबिस, ब्लैक आईबिस, स्पून इग्रिट और पेंटिड स्ट्रोक शामिल हैं।
दरसअल ओखला पक्षी विहार और चिडिय़ाघर के तालाबों में बरसात के दिनों मे पर्याप्त पानी भरा होता है। ऐसे में तालाब में मछली, मेंढक और केंचुए भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध रहते हैं। इनसे मेहमान पक्षियों के भोजन की समस्या दूर हो जाती है और वे तालाबों के आसपास वाले पेड़ और झाडिय़ों पर अपना घोंसला बना लेते हैं। इस बीच इग्रिट और दूसरे पक्षी प्रजनन कर अपना परिवार बढ़ाते हैं। बच्चों के बड़ा होने तक बरसात की वजह से उनके लिए भी आसानी से भोजन उपलब्ध रहता है। नाइट हेरोन दो से तीन सप्ताह में अंडे देते हैं, जबकि इग्रेट 22 से 26 दिन में अंडा देते हैं और एक बार में तीन से पांच अंडे देते हैं।
चिडिय़ाघर से सेवानिवृत्त जू क्यूरेटर डॉ. अशोक कुमार मल्होत्रा ने बताया कि मानूसन के दौरान मेहमान पक्षियों के लिए तालाब में मछली डलवाई जाती थीं, जिससे उनके भोजन की समस्या न रहे। चिडिय़ाघर में अभी ब्लैक आइबिस ने दस्तक दी है। उन्होंने बताया कि दिल्ली आने वाले पेंटिड स्ट्रोक पांच रंगों के होते हैं। इनमें व्हाइट, पिंक, येलो, ब्लैक और ओरेंज शामिल हैं। इनमें नर-मादा अलग-अलग रंगों को देखकर आकर्षित होकर प्रजनन करते हैं। फिर घोंसला बनाकर अंडे देते हैं। पेंटिड स्ट्रोक बोलते नहीं, बल्कि एक-दूसरे से चोंच मिलाकर संपर्क में आते हैं। ये करीब बीस दिनों में बच्चे देते हैं और एक बार में दो से तीन अंडे देते हैं।
– राहुल शर्मा