नयी दिल्ली: क्या नारेबाजी या प्रदर्शनकारियों की तरफ से उपयोग होने वाले लाउडस्पीकर से आपको परेशानी होती है? कनॉट प्लेस में रहने वाले एक व्यक्ति की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली सरकार और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इस क्षेत्र में ध्वनि स्तर मापने को कहा है। मापने का काम खास कर के उस समय को करने को कहा गया है जब जंतर-मंतर के निकट प्रदर्शनकारी प्रदर्शन कर रहे होते हैं।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने राज्य सरकार से इस क्षेत्र के ध्वनि स्तर की माप करने और ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए बैरियर लगाने जैसे कदम उठाने को कहा है। पीठ ने कहा, ”ध्वनि स्तर मापने का काम उस समय किया जाए जब विरोध प्रदर्शन चल रहा हो।
ध्वनि प्रदूषण और यातायात की दिक्कतों को रोकने के लिए ऐर प्रदर्शन के लिए वैकल्पिक स्थानों की तलाश भी करने को कहा गया है।” एनजीटी पैनल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय ने समय-समय पर धरना स्थल को किसी और जगह पर ले जाने को भी कहा था लेकिन इसके लिए कुछ भी नहीं किया गया।
एनजीटी वरूण सेठ और अन्य की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में कहा गया था कि इस क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण का बड़ा स्रोत समाजिक समूहों, राजनीतिक दलों और एनजीओ द्वारा जंतर मंतर पर किया गया प्रदर्शन है।
याचिका में कहा गया है कि नियमित तौर पर होने वाले ये प्रदर्शन उनके शांतिपूर्ण और स्वस्थ वातावरण में जीने, शांति का अधिकार और सोने का अधिकार और सम्मानपूर्ण जिंदगी जीने के अधिकार का उल्लंघन करता है। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि 40 डेसीबल से ज्यादा होने वाले शोर को रोकने वाले कानून होने के बावजूद उन्हें कभी-कभी लाउडस्पीकर से होने वाले 300 डेसीबल के शोर को भी सहना पड़ता है।
(भाषा)