पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के दफ़्तर ने बताया है कि पाकिस्तान के श्रद्धालुओं को वीज़ा जारी नहीं होने की वजह से वे ख़्वाजा निज़ादमुद्दीन औलिया के सालाना उर्स (समारोह) में शामिल नहीं हो पाएंगे। भारत के फैसले के कारण पाकिस्तानी जायरीनों को उर्स में भाग लेने का मौका नहीं मिल पाएगा। उर्स का एक खास महत्व है।’’ यह यात्रा धार्मिक स्थलों के दौरे पर 1974 के पाकिस्तान-भारत प्रोटोकॉल के प्रावधानों के तहत होनी थी और यह एक वाॢषक प्रक्रिया है।
बयान के अनुसार यह दुर्भाग्यपूर्ण है और 1974 प्रोटोकॉल तथा लोगों से लोगों के संपर्क के उद्देश्य की भावना के खिलाफ है। इसमें कहा गया है कि द्विपक्षीय प्रोटोकॉल और धार्मिक आजादी के मूल मानवाधिकार का उल्लंघन होने के साथ ही ऐसे कदमों से माहौल बेहतर बनाने। लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने और दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य बनाने के प्रयासों को नुकसान पहुंचता है। विदेश विभाग ने कहा यह विडंबना है कि यह हजरत निजामुद्दीन औलिया के उर्स के मौके पर किया गया जो समुदायों को एक-दूसरे के करीब लाने के प्रतीक हैं।
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