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गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति कोविंद का राष्ट्र के नाम संबोधन

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नई दिल्ली:69 वे गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्र के नाम सबोधन दिया। अपने सबोधन में महामहिम राष्ट्रपति ने कई अहम मुद्दे पर बात की उन्होंने कहा कि यह राष्ट्र के प्रति सम्मान की भावना के साथ हमारी सम्प्रभुता का उत्सव मनाने का अवसर है।

राष्ट्रपति  रामनाथ कोविंद के संबोधन की बड़ी बातें…

– जहां बेटियों को, बेटों की ही तरह, शिक्षा, स्वास्थ्य और आगे बढ़ने की सुविधाएं दी जाती हैं, ऐसे समान अवसरों वाले परिवार और समाज ही एक खुशहाल राष्ट्र का निर्माण करते हैं। राष्ट्र निर्माण करोड़ों छोटे-बड़े अभियानों को जोड़कर बना, एक सम्पूर्ण अभियान है। नागरिकों के चरित्र का निर्माण करना, परिवारों द्वारा अच्छे संस्कारों की नींव डालना, और समाज से अंध-विश्वास तथा असमानता को मिटाना, ये सभी राष्ट्र-निर्माण की दिशा में योगदान हैं।

– जिस शुरुआती दौर में, हमारे संविधान का स्वरुप तय किया गया, उस दौर से मिली हुई सीख हमारे लिए आज भी प्रासंगिक है। हम जो भी कार्य करें, जहां भी करें और हमारे जो भी लक्ष्य हों – उस दौर की सीख, हर क्षेत्र में हमारे लिए उपयोगी है।

– हमारे संविधान निर्माता बहुत दूरदर्शी थे। वे ‘कानून का शासन’ और ‘कानून द्वारा शासन’ के महत्त्व और गरिमा को भली-भांति समझते थे। वे हमारे राष्ट्रीय जीवन के एक अहम दौर के प्रतिनिधि थे। हम सौभाग्यशाली हैं कि उस दौर ने हमें गणतंत्र के रूप में अनमोल विरासत दी है। लेकिन उन्होंने पल भर भी आराम नहीं किया, बल्कि दुगने उत्साह के साथ संविधान बनाने के महत्त्वपूर्ण कार्य में पूरी निष्ठा के साथ जुट गए।

उनकी नजर में हमारा संविधान, हमारे नए राष्ट्र के लिए केवल एक बुनियादी कानून ही नहीं था, बल्कि सामाजिक बदलाव का एक दस्तावेज था।

– हमें आजादी एक कठिन संघर्ष के बाद मिली थी। इस संग्राम में, लाखों लोगों ने हिस्सा लिया। उन स्वतंत्रता सेनानियों ने देश के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। महात्मा गांधी के नेतृत्व में, ये महान सेनानी, मात्र राजनैतिक स्वतंत्रता प्राप्त करके संतुष्ट हो सकते थे।

– समता या बराबरी के इस आदर्श ने, आज़ादी के साथ प्राप्त हुए स्वतंत्रता के आदर्श को पूर्णता प्रदान की। एक तीसरा आदर्श हमारे लोकतंत्र के निर्माण के सामूहिक प्रयासों को और हमारे सपनों के भारत को सार्थक बनाता है। यह है, बंधुता या भाईचारे का आदर्श!

– संविधान का निर्माण करने, उसे लागू करने और भारत के गणराज्य की स्थापना करने के साथ ही, हमने वास्तव में ‘सभी नागरिकों के बीच बराबरी’ का आदर्श स्थापित किया, चाहे हम किसी भी धर्म, क्षेत्र या समुदाय के क्यों न हो।

– हमारे वरिष्ठ नागरिक, जो गर्व के साथ यह देखते हैं कि वे अपने लोकतंत्र को कितना आगे ले आये हैं; हर-एक युवा, जिसमें हमारे देश की ऊर्जा, आशाएं, और भविष्य समाए हुए हैं और हर-एक प्यारा बच्चा, जो हमारे देश के लिए नए सपने देख रहा है।

– हर-एक नर्स, जो देशवासियों की सेवा करती है; हर-एक स्वच्छता कर्मचारी, जो हमारे देश को स्वच्छ रखता है; हर-एक अध्यापक, जो हमारे देश को शिक्षित बनाता है; हर-एक वैज्ञानिक, जो हमारे देश के लिए इनोवेशन करता है; हर-एक इंजीनियर, जो हमारे देश को एक नया स्वरुप देता है; हर एक सैनिक, जो हमारे देश की रक्षा करता है; हर-एक किसान, जो हमारे देशवासियों का पेट भरता है; हर-एक पुलिस और अर्ध-सैनिक बल, जो हमारे देश को सुरक्षित रखता है; हर-एक मां, जो देशवासियों का पालन-पोषण करती है; हर-एक डॉक्टर, जो देशवासियों का उपचार करता है।

– देश के लोगों से ही लोकतंत्र बनता है। हमारे नागरिक, केवल गणतंत्र के निर्माता और संरक्षक ही नहीं हैं, बल्कि वे ही इसके आधार स्तम्भ हैं। हमारा हर नागरिक, हमारे लोकतन्त्र को शक्ति देता है।

– यह उन लाखों स्वतंत्रता सेनानियों के महान प्रयासों और बलिदान को, आभार के साथ याद करने का दिन है जिन्होंने अपना खून-पसीना एक करके, हमें आज़ादी दिलाई और हमारे गणतंत्र का निर्माण किया। आज का दिन हमारे लोकतान्त्रिक मूल्यों को नमन करने का भी दिन है।

– देश के 69वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई! यह राष्ट्र के प्रति सम्मान की भावना के साथ, हमारी सम्प्रभुता का उत्सव मनाने का भी अवसर है।

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