वर्तमान में मोदी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती बेरोजगारी की है। रोजगार के मुद्दे पर विपक्ष से लेकर अर्थशास्त्री तक केंद्र सरकार को घेर रहे हैं. ऐसे में सरकार ने श्रम कानून में बड़ा बदलाव किया है। नियमों में बदलाव कर सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट जॉब को प्रमोट करना शुरू किया है।
आपको बता दे कि सरकार ने नियत अवधि रोजगार यानी फिक्स्ड टर्म एम्प्लॉयमेंट को सभी क्षेत्रों पर लागू करने का निर्णय लिया है। इसके तहत किसी भी क्षेत्र में कांट्रैक्टर की मदद के बगैर निश्चित अवधि के लिए सीधे कर्मचारियों की नियुक्ति की जा सकेगी। अभी तक केवल परिधान क्षेत्र में इसकी इजाजत थी। इस संबंध में श्रम मंत्रलय की ओर से अधिसूचना जारी की गई है। यह निर्णय ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। औद्योगिक प्रतिष्ठान (स्थायी आदेश) 1946 में संशोधन का निर्णय लिया गया है।
स्थाई कर्मचारियों के हितों की रक्षा की दिशा में उठाए गए सरकार का यह बड़ा कदम है। श्रम मंत्रालय की तरफ से जारी अधिसूचना के मुताबिक निश्चित अवधि के रोजगार (कॉन्ट्रैक्ट जॉब) पर नियुक्त कर्मचारियों के वेतन, भत्ते, काम के घंटे किसी भी सूरत में स्थाई कर्मचारियों से कम नहीं हो सकती है। लेकिन, उनकी नियुक्ति एक निश्चित अवधि के लिए होगी जिसके बाद यदि सेवा पुनर्स्थापित नहीं की जाती है तो नियुक्ति अपने-आप खत्म हो जाएगी और कर्मचारी किसी तरह के नोटिस या मुआवजे की मांग नहीं कर सकते हैं।
बता दे कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले महीने बजट भाषण में कहा था कि यह सुविधा सभी क्षेत्रों के लिए उपलब्ध कराई जाएगी। इस सुविधा के तहत बहाल किए गए उम्मीदवार को हर वह सुविधा मिलती है जो विभिन्न श्रम कानूनों के तहत नियमित कर्मचारियों को दी जाती है। आदेश के संशोधन में कहा गया है कि अस्थायी या बदली कामगारों के मामले में नौकरी से निकाले जाने की पूर्वसूचना दिया जाना अनिवार्य नहीं होगा। इस तरह से बहाल किए गए वैसे कर्मचारी जिन्होंने तीन महीने से अधिक काम किया हुआ है उन्हें दो सप्ताह का नोटिस दिए जाने का प्रावधान किया गया है।
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